मणिकर्णिका घाट जहां 24 घंटे जलती है चिताएं..

काशी जहां मृत्यु को शोक नहीं बल्कि मंगलमय माना जाता है,आइए जानते हैं की आखिर मणिकर्णिका घाट में अंतिम संस्कार क्यों किया जाता है...

मणिकर्णिका घाट जहां 24 घंटे शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है,ऐसा भी माना जाता है की यहां जो भी अंतिम सांस लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हिंदू मान्यता की माने तो, यहां मां पार्वती के कान का फूल गिरा था जिसकी शिव जी ने ढूंढ निकाला था,इसी कारण से इसका नाम मणिकर्णिका घाट पड़ा।

इस घाट पर महिलाएं नहीं जाती क्युकी माना जाता है कि इससे श्राप लगता है।

मणिकर्णिका में मृत्यु को शोक के रूप में नही बल्कि जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्त मोक्ष के रूप में देखा जाता है।

लोग यहां से राख भभूत के रूप में ले जाते है,साथ ही राख से होली भी खेली जाती है।

माना जाता है कि जो भी शख्स यहां अपने प्राण त्यागता है,भगवान शिव स्वयं उसके कानो में तारक मंत्र बोलते हैं,जिससे जीवात्मा मोक्ष को पा लेता है।