गीता हमें आत्मा, जीवन और परमात्मा के गहरे सिद्धांतों का ज्ञान देती है, जिससे जीवन का उद्देश्य समझने में मदद मिलती है।

 गीता पढ़ने से मन को शांति मिलती है और तनाव, चिंता और अवसाद जैसे मानसिक विकारों से मुक्ति मिलती है।

गीता हमें कर्तव्य और धर्म के प्रति प्रेरित करती है, जिससे हम अपने कार्यों को निस्वार्थ भाव से कर पाते हैं।

गीता हमें जीवन में कठिन परिस्थितियों में सकारात्मक बने रहने की शिक्षा देती है।

गीता के ज्ञान से हम सही और गलत में भेद कर पाते हैं, जिससे निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है।

 गीता सिखाती है कि सुख-दुःख, सफलता-असफलता में समभाव रखना चाहिए, जिससे जीवन में संतुलन बना रहता है।

गीता पढ़ने से हमें सांसारिक मोह, भय और आसक्तियों से मुक्त होने की प्रेरणा मिलती है, जिससे आत्मबल बढ़ता है।

इन कारणों से भागवत गीता पढ़ना न केवल धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से बल्कि व्यक्तिगत और मानसिक विकास के लिए भी लाभकारी है।

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