पूरी दुनिया में उज्जैन का मंदिर काफी प्रसिद्ध है, जहां 12 ज्योर्तिलिंगो में से एक महाकाल का मंदिर है।आइए इसके महत्व के बारे में जाने...
भगवान शिव जी ने यहां दुषक नामक एक राक्षस का वध कर अपने भक्तो की रक्षा की थी,जिसके बाद भक्तो के आग्रह पर वे यहीं स्थापित हो गए। भगवान के 12 ज्योर्तिलिंगो में से यह तीसरा मंदिर है।
ऐसी मान्यता है की जो भक्त उज्जैन भगवान महाकाल के दर्शन करने आते है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।
भगवान अपने भक्तो को कभी निराश नहीं करते है,और उनके हर दुख हर लेते हैं।
ऐसा माना जाता है की भस्म आरती के दौरान भगवान निराकार रूप में रहते हैं, ऐसे में इस दौरान पुरुषो को धोती और महिलाओं को अपने सिर पर घूंघट रखना पड़ता है।
बाबा महाकाल को उज्जैन का राजा कहा जाता है, ऐसे में एक नगर में कोई दो राजा नहीं रहा सकता है,इस कारण रात में ठहरने वाले के हाथ से उसकी सत्ता भी जा सकती है।
उज्जैन को स्वर्ग भूमि कहा जाता है, यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर शक्तिपीठ भी है, ज्योतिर्लिंग है और कुंभ महापर्व का यहां आयोजन भी होता है।
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