
लेह के अलची से करीब 189 किमी उत्तर में सुबह करीब 4.19 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप की तीव्रता 4.8 आंकी गई. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी. भूकंप के कारण अभी किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं आई है. कुछ दिन पहले भी अल्ची में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे. तब भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.2 मापी गई थी. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने भूकंप का केंद्र अलची से 89 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में बताया था. बताया जाता है कि पिछले दिनों यहां जो भूकंप आया था उस समय लोग सुबह अपने अपने कामों में व्यस्त थे. उसी समय धरती हिली और भूकंप के कारण दरवाजे आथ्र खिड़कियां हिलने पर लोग डरकर घरों से बाहर निकल आए थे. हालांकि तब भी भूकंप के दौरान जानमाल के नुकसान की खबर नहीं मिली.
इलाके में 25 मार्च को भी तेजी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. वहीं मार्च से पहले पिछले साल 27 सितंबर और फिर 6 अक्टूबर को भी भूकंप के कारण कंपन महसूस किया गया था. उस समय आए भूकंप की तीव्रता 3.7 और अक्टूबर में 5.1 बताई गई थी.
कुछ स्थानीय पृथ्वी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि ये छोटे.छोटे झटके आने वाली किसी बड़ी भूकंपीय घटना का संकेत हो सकते हैं. जम्मू कश्मीर में हाल के समय में छोटे.छोटे भूकंप लगातार आ रहे हैं. कहीं ये छोटे भूकंप किसी बड़े खतरे के संकेत तो नहीं र्हैं. ऐसे में इन्हें हल्के में लिया जाना एक बड़ी गलती साबित हो सकती है. जानकारों का ऐसा मानना है कि इन हल्के भूकंपों को बड़ी चेतावनी के तौर पर देखा जाना चाहिए और बड़ा भूकंप आने पर नुकसान से बचने के लिए पहले से ही उसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.
ऐसा कहा जाता है कि भूकंप के छोटे झटके किसी बड़े भूकंप के आने से पहले चेतावनी देते हैं. ऐसे में जानमाल के कम से कम नुकसान के लिए पहले से तैयारी शुरू कर देना ही समझदारी है. एक मीडिया रिपोर्ट में नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के पूर्व प्रमुख एके शुक्ला के हवाले से लिखा गया है कि ऐसी कोई मशीन नहीं बनी है, जिससे भूकंप की भविष्यवाणी हो सके. लेकिन जो छोटे भूकंप होते हैं. वह बड़े भूकंप की चेतावनी के तौर पर देखे जाने चाहिए.