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महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग ने किया स्पष्ट, औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख मतदाता वोट डालते रहे

दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट किया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान 6,40,87,588 मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया। औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख मतदाता वोट डालते रहे। इन औसत आंकड़ों के आधार पर, अंतिम दो घंटों में लगभग 116 लाख मतदाता मतदान कर सकते थे। इस संदर्भ में अंतिम दो घंटों में 65 लाख मतदाताओं द्वारा मतदान किया जाना औसत प्रति घंटे मतदान के आंकड़ों से काफी कम था।

हर मतदान केंद्र पर मतदान, उम्मीदवारों/राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त मतदान एजेंटों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) द्वारा नामित उम्मीदवारों अथवा उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव पर्यवेक्षकों के समक्ष किसी भी प्रकार की असामान्य मतदान की कोई ठोस शिकायत दर्ज नहीं कराई।

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भारत में, महाराष्ट्र सहित, निर्वाचक नामावली का निर्माण जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार किया जाता है। कानून के मुताबिक, चुनावों से ठीक पहले और प्रत्येक वर्ष निर्वाचक नामावली का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जाता है तथा सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों, जिनमें कांग्रेस भी शामिल है, को निर्वाचक नामावली की अंतिम प्रति उपलब्ध कराई जाती है।

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान निर्वाचक नामावलियों के अंतिम रूप दिए जाने के पश्चात 9,77,90,752 मतदाताओं के विरुद्ध केवल 89 अपीलें प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (जिलाधिकारी) के समक्ष और मात्र 1 अपील द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) के समक्ष दायर की गईं। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल ने चुनाव से पूर्व निर्वाचक नामावली के संबंध में कोई ठोस शिकायत नहीं की।

निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण के दौरान 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए 97,325 बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) नियुक्त किए गए और सभी राजनीतिक दलों द्वारा कुल 1,03,727 बूथ स्तर एजेंट नियुक्त किए गए, जिनमें से 27,099 एजेंट कांग्रेस द्वारा नियुक्त किए गए थे। इसलिए, महाराष्ट्र की निर्वाचक नामावली को लेकर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह निराधार हैं और ये कानून के शासन का अपमान हैं।

निर्वाचन आयोग ने उपरोक्त सभी तथ्य 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को भेजे गए अपने विस्तृत उत्तर में स्पष्ट कर दिए थे, जो आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं। यह प्रतीत होता है कि इन तथ्यों को बार-बार लगाए जा रहे आरोपों के दौरान पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।

भारत में सभी चुनाव कानून के अनुसार संपन्न कराए जाते हैं। जिस पैमाने और सटीकता से भारत में चुनाव कराए जाते हैं, उसकी वैश्विक स्तर पर भी सराहना की जाती है। पूरा देश जानता है कि प्रत्येक चुनाव प्रक्रिया—चाहे वह निर्वाचक नामावली का निर्माण हो, मतदान हो या मतगणना—सभी कार्य सरकारी कर्मचारियों द्वारा और राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों के औपचारिक रूप से नियुक्त प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ही संपन्न होते हैं, चाहे वह मतदान केंद्र हो या निर्वाचन क्षेत्र स्तर।

कोई भी व्यक्ति यदि इस प्रक्रिया के बारे में गलत जानकारी फैलाता है, तो वह न केवल कानून का अपमान करता है, बल्कि यह उसके अपने राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता से कार्य कर रहे लाखों कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित करता है। मतदाताओं के किसी प्रतिकूल निर्णय के बाद यह कहना कि निर्वाचन आयोग पक्षपाती है, नितांत निराधार और अनुचित है।

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