
भारत सरकार ने ग्राहकों को लाभ पहुंचाने और इलेक्ट्रॉनिक कचरे को कम करने के लिए गैजेट्स के चार्जिंग पोर्ट में बड़ा बदलाव किया है. सरकार ने मोबाइल निर्माताओं से सभी तरह के फोन और स्मार्टफोन के लिए एक ही यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट का इस्तेमाल करने को कहा है, जबकि वियरेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए अलग तरह के चार्जिंग पोर्ट का इस्तेमाल किया जाएगा. यानी सरकार केवल दो तरह के चार्जिंग पोर्ट को मान्यता देने वाली है. सरकार ने इसे लागू करने की तारीख भी तय कर दी है.
नए नियमों के तहत उपभोक्ताओं को अब हर बार नया उपकरण खरीदने पर अलग चार्जर की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि वे छोटे और मिड साइज के पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की पूरी कैटेगरी के लिए एक ही चार्जर का उपयोग करने में सक्षम होंगे.
उनके निर्माता के बावजूद, सभी नए मोबाइल फोन, टैबलेट, डिजिटल कैमरा, हेडफोन और हेडसेट, हैंडहेल्ड वीडियो-गेम कंसोल और लैपटॉप जो एक वायर्ड केबल के माध्यम से रिचार्जेबल होते है, जो 100 वाट तक की पावर डिलीवरी के साथ काम करते हैं, उन्हें यूएसबी टाइप-सी पोर्ट के साथ सुसज्जित करना होगा.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर की तरफ से वियरेबल के लिए भी एक कॉमन चार्जर के लिए स्टडी की जा रही है. इस रिपोर्ट के आधार पर कॉमन वियरेबल डिवाइस के लिए चार्जर स्टैंडर्ड को मान्यता दी जाएगी. सरकार दिसंबर 2024 तक इस आदेश को और लागू करेगी.
यूरोपियन यूनियन (EU) ने यूनिवर्सल चार्जर को लेकर एक नियम बनाया है. यूरोपियन यूनियन का कहना है कि 2024 के अंत तक यूरोपीय संघ में बेचे जाने वाले सभी मोबाइल फोन, टैबलेट और कैमरों को यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट के साथ बेचा जाएगा. यह फैसला ई-कचरे को कम करने और यूजर्स को अधिक टिकाऊ प्रोडक्ट देने में मदद करेगा. जबकि एपल का कहना था कि यूनिवर्सल चार्जर के आने के बाद इनोवेशन खत्म हो जाएगा प्रदूषण भी बढ़ेगा, हालांकि इसके पीछे एपल ने कारण नहीं बताया था.
फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करने वाले सभी डिवाइस में अब चार्जिंग स्पीड समान होगी, जिससे यूजर्स अपने डिवाइस को किसी भी संगत चार्जर से समान स्पीड से चार्ज कर सकेंगे.






