
वायुसेना ने मिग-21 लड़ाकू विमानों के बेड़ों को अस्थायी रूप से सेवा से हटा दिया है. यह फैसला करीब दो सप्ताह पहले राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक मिग-21 लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद लिया गया है. ये विमान फिलहाल तकनीकी मूल्यांकन और जांच के दौर से गुजर रहे हैं. जांच दलों की मंजूरी के बाद ही इन्हें दोबारा उड़ान भरने की अनुमति दी जाएगी.
मिग को कहा जाता है उड़ता ताबूत
रूस में बना मिग-21 विमान पहली बार 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था. तब से आज तक एयरफोर्स को 872 विमान मिले जिसमें से करीब 500 विमान क्रैश हो चुके हैं. इन हादसों में 200 से ज्यादा पायलट्स और 56 आम लोगों को जान गंवानी पड़ी. यही वहज है कि इसे उड़ता ताबूत और विडो मेकर के नाम से पुकारा जाता है.
अभी भी सेवा में क्यों है मिग-21
1990 के दशक के मध्य में रिटायर होने के बावजूद इसे बार-बार अपग्रेड किया जाता रहा है. अक्टूबर 2014 में वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि पुराने विमानों को सेवा से हटाने में देरी से भारत की सुरक्षा को खतरा है क्योंकि बेड़े के कुछ हिस्से पुराने हो चुके हैं.
दरअसल, नए लड़ाकू विमानों को शामिल करने में देरी हो रही है. यही कारण है कि मिग 21 अपनी सेवानिवृत्ति की बाद भी भारतीय वायु सेना को अपनी सेवा दे रहा है.
आठ मई को सूरतगढ़ में वायु सेना स्टेशन से नियमित प्रशिक्षण के लिए रवाना हुआ मिग -21 विमान हनुमानगढ़ में दुर्घटनाग्रस्त होकर एक घर पर गिर गया था. इस दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी. घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि हनुमानगढ़ की घटना के बाद सोवियत मूल के मिग-21 विमान फिर से चर्चा में आ गए थे. 1960 के दशक की शुरुआत में मिग-21 को पेश किए जाने के बाद से अब तक करीब 400 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. पिछले छह दशकों में 400 मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं. वायुसेना के पास अभी 50 मिग-21 विमान हैं.