
नई दिल्ली . अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने की संभावना नहीं है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई. रिपोर्ट में अगले साल होने वाले आम चुनाव को इसका एक कारक बताया गया है.
मूडीज ने रिपोर्ट में कहा है कि अगस्त के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें मजबूत होने से तीन प्रमुख सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा (मार्जिन) फिर से नकारात्मक श्रेणी में चला गया है. आने वाले महीनों में भी मुनाफे में कमी आना संभव है. हालांकि, इनके पास मई 2024 में आम चुनाव के कारण चालू वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में वृद्धि करने के सीमित अवसर होंगे.
क्या है मौजूदा स्थिति
तेल कंपनियों ने पिछले 18 महीनों से पेट्रोल-डीजल के भाव में लगभग कोई बदलाव नहीं किया है. ऐसा तब है, जब कच्चे तेल के भाव तेजी दिखी. इसके चलते वर्ष 2022-2023 की पहली छमाही में इन कंपनियों को घाटा भी हुआ. हालांकि, बाद में कच्चे तेल के दाम में आई नरमी से इन्हें फायदा भी हुआ. तब पेट्रोल-डीजल के दाम भी नहीं घटाए गए थे.
पिछले दो महीनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी के बाद घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल महंगा होने की आशंका जताई जा रही है. इन अटकलों को बीते दिनों केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी खारिज किया था. उन्होंने कहा था कि घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की उम्मीद नहीं है.
13 माह का तोड़ा रिकॉर्ड
कच्चे तेल ने पिछले 13 महीने के रिकॉर्ड को तोड़ा है. पिछले तीन महीनों में क्रूड की कीमत में 30 का उछाल देखा गया है. यह तेजी सऊदी अरब और रूस की तरफ से कच्चे तेल के उत्पादन और आपूर्ति में कटौती किए जाने के बाद आई है. हालांकि, बाद में रूस ने उत्पादन बढ़ाया, जिससे दाम में कुछ गिरावट आई.