
बिलकिस बानो से गैंगरेप और उसके परिवार के लोगों की हत्या के दोषी 11 लोग फिर से जेल जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि इन लोगों की सजा माफी का अधिकार गुजरात सरकार के पास नहीं था और उसने फिर भी ऐसा फैसला लिया. ऐसे में हम उस आदेश को रद्द करते हैं और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर कोर्ट में पेश होना होगा. अदालत ने कहा कि इन लोगों की रिहाई का आदेश देने का अधिकार गुजरात सरकार के पास नहीं था. शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा कि इन दोषियों की सजा माफी का अधिकार गुजरात सरकार के पास नहीं था और फिर भी यह फैसला लिया गया.
ऐसे में बिलकिस बानो की याचिका सुनवाई के योग्य है. अदालत ने कहा कि बिलकिस बानो से गैंगरेप के दोषियों के खिलाफ जिस राज्य में केस चला था, वहीं की सरकार उनकी सजा माफ कर सकती थी. इसकी बजाय गुजरात सरकार ने यह फैसला लिया, जो गलत था. उसके पास इन लोगों की सजा को माफ करने का कोई अधिकार ही नहीं था. बता दें कि गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था और उनके परिवार के कई लोगों की हत्याएं हुई थीं. इस कांड के 11 दोषियों के खिलाफ महाराष्ट्र में केस चला था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस पर फैसला महाराष्ट्र सरकार को ही लेना था कि ये लोग सजा कम किए जाने के हकदार हैं या नहीं.
सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. शीर्ष न्यायालय का कहना है कि यह इस कोर्ट की जिम्मेदारी है कि मनमाने ढंग से जारी हुए आदेशों को ठीक करे और जनता के विश्वास को बनाए रखे.
कौन हैं बिलकिस के वे 11 दोषी, जो फिर जाएंगे जेल
जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुयान की बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार के पास सजा माफी का अधिकार नहीं था. यह अधिकार उस सरकार के पास था, जहां इन दोषियों के खिलाफ ट्रायल चला था. बेंच ने कहा कि इन लोगों की सजा माफी का फैसला उस सरकार ने लिया, जहां इनके खिलाफ केस चला ही नहीं था. अदालत के फैसले के बाद अब जिन लोगों को जेल जाना पड़ेगा, उनमें जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, राजूभाई सोनी, बाकाभाई वोहानिया, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना शामिल हैं.
बेंच बोली- पिछले साल गलत दस्तावेज दिखाकर लिया था SC से आदेश
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सरकार इन लोगों की रिहाई पर नियमानुसार विचार कर सकती है. यह फैसला कोर्ट से गलत दस्तावेजों को पेश करके लिया गया था. बता दें कि मई 2022 में कोर्ट के फैसले के बाद ही गुजरात सरकार ने यह आदेश दिया था. इन लोगों की रिहाई के बाद गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश में सवाल उठे थे. यही नहीं जब ये दोषी कई जगहों पर मंचों पर दिखे और उनका स्वागत हुआ तो इसे लेकर भी गुस्सा दिखा. इसके बाद बिलकिस बानो ने अदालत का रुख किया.