
साजा. वर्तमान में खरीफ सीजन में धान की बुआई की तैयारी में किसान पूरे बेमेतरा जिले में लगे हुए हैं. किसानों के लिए पिछला रबी सीजन बहुत घाटे का रहा. रबी की फसल बारिश और ओला की भेंट चढ़ गई. दरअसल छत्तीसगढ में किसान साल में दो फसल लेता है. खरीफ फसल में धान रबी फसल में चना गेहूं मुख्य फसल है. पिछले रबी सीजन में बारिश और ओलों की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी फिर भी किसानों के सामने खरीफ की फसल के लिए अपने खून पसीने की गाड़ी कमाई को फिर से एक बार अपने खेतों में लगाने के लिए समिति एवं प्राइवेट दुकानों से खाद बीज लेकर बारिश का इंतजार करते बैठे हैं.
इस साल किसानों का ज्यादा रुझान रोपा में दिखाई दे रहा है इसलिए किसान प्राइवेट दुकानों से महंगा बीज लाकर खेत में नर्सरी डाल रहे हैं. ऐसे ही ग्राम कंदई के बहुत सारे किसानों ने संपदा कंपनी का स्वर्णा धान का पैकेट जो 10 किलो का आता है जो दुकानों में 78 से 80 रुपए किलो में बेचा जा रहा है. ग्राम कन्दई के किसानों एवं किसान नेता जिला पंचायत सभापति गोवेंद्र पटेल ने भी अपने खेत में रोपा लगाने के लिए देवरबीजा से 12 पैकेट धान लाकर नर्सरी डाली मगर आज 12 दिन हो गए धान अंकुरण नहीं आया इस बात की जानकारी किसानों ने दुकानदार को दी. दुकानदार का कहना है कि जो लाट आप लोग को मिला था, वह लाट का बीज फेल है, आप आकर अपना पैसा ले जाइए या दूसरे धान का बीज ले जाइए. किसान नेता गोवेंद्र पटेल ने इस बात की जानकारी प्रेस को दी. उन्होंने कहा कि न जाने कितने किसान ऐसे इन डुप्लीकेट बीज बेचने वाले कंपनियां के चक्कर में आकर किसान अपना खून पसीने की कमाई को लगा देते हैं. बीज तो मिल जाएगा किसानों को मगर वह समय वापस कहां मिलेगा. जिस समय की तैयारी के इंतजार में किसान एक साल से बैठा रहता है. किसानों को जो मानसिक क्षति हुई है, उसका नुकसान कंपनी कभी नहीं कर सकती. सभापति श्री पटेल ने कहा कि सबसे गंभीर बात यह है कि धान का जो पैकेट है उसमें एमआरपी 1250 रुपए दिया है, जबकि दुकानदार इसको 780-800 रुपए में दे रहे हैं. मतलब कंपनी ने दुकानदारों को बार्गेनिंग कर कमाई के लिए पूरी व्यवस्था की है.
इस कंपनी को पूरे बेमेतरा जिले में ब्लैक लिस्टेड करने के लिए सभापति श्री पटेल ने किसानों को लेकर कलेक्टर कार्यालय और कृषि मंत्री के पास जाने की बात कही है.