
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले के आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी)-इकोनॉमिक्स ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) द्वारा केस दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें कोर्ट ने सभी 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
उच्च न्यायालय का निर्णय
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज की गई एफआईआर सबूतों के आधार पर की गई है। कोर्ट ने अंतरिम राहत का पूर्व आदेश भी रद्द कर दिया है। इस फैसले को छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार द्वारा अपनाई गई ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
गिरफ्तार आरोपियों की जानकारी
शराब घोटाले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, विधु गुप्ता, निदेश पुरोहित, निरंजन दास और एपी त्रिपाठी समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इन सभी ने अपनी एफआईआर निरस्त करने के लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं, जिनका उच्च न्यायालय ने अब निस्तारण किया है।
घोटाले का विस्तृत विवरण
इस घोटाले में 2161 करोड़ रुपये के वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है। जांच के दौरान ईडी ने पाया कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट द्वारा घोटाला किया गया था। आरोप है कि 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
आगे की कार्रवाई
उच्च न्यायालय के आज के निर्णय के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि शराब निर्माता कंपनियों पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी, जिनका इस घोटाले में बड़ा हाथ रहा है।