रायपुर। बिलासपुर जिले के सरकंडा स्थित पंडित रामदुलारे दुबे स्वामी आत्मानंद शासकीय उच्चतर माध्यमिक बालक शाला में पिछले माह रिटायर हुए शिक्षक प्रताप पाटनवार ने अपने जन्मदिन के अवसर पर 700 बच्चों के न्योताभोज का आयोजन किया और कार्यक्रम के बाद उन्होंने रुंधे गले और आंखों में आंसुओं के साथ कहा कि ‘‘जिन बच्चों के कारण मुझे 42 साल तक सरकार वेतन देती रही और जिनके कारण मेरा घर चलता रहा उनके लिए मैं एक दिन कुछ खास कर पाया इसकी मुझे खुशी है।‘‘ उन्होंने कहा कि शासन की यह योजना वास्तव में अपने आप में एक अद्भुत योजना है क्योंकि हम अपनी खुशी ऐसे लोगों के साथ बांटते हैं जिन्हें उसका मोल पता है। सरकारी स्कूल में पलने बढ़ने वाले अधिकांश बच्चे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले घर के बच्चे हैं और उनके साथ मिलकर जब आप बैठकर भोजन करते हैं तो उनके चेहरे की खुशी देखकर न्योता भोज करने वाला भाव विभोर ना हो जाए ऐसा हो ही नहीं सकता। इससे न केवल सामुदायिक परस्परता बढ़ रही है बल्कि स्कूलों से आमजन का जुड़ाव भी और अधिक बेहतर तरीके से हो रहा है। साथ ही बड़े अधिकारी जब न्योता भोज के बहाने ही स्कूल पहुंचते हैं तो स्कूल की मॉनिटरिंग भी हो जाती है।
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में संचालित की जा रही प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना में समुदाय की भागीदारी से अनूठा नवाचार न्योता भोजन लोगों को काफी पसंद आ रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर शुरू किए गए न्योता भोजन के कार्यक्रम से लोग लगातार जुड़ते जा रहे हैं। राज्य के स्कूलों में विभिन्न समुदाय के लोगों के सहयोग से अब तक राज्य के 30 हजार शालाओं में 75 हजार से अधिक बार न्योता भोजन का आयोजन किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में दान देने की परंपरा रही है, यहां नई फसल की खुशी में छेरछेरा पर्व में दान देने की परंपरा है। यह हमारे समाज की दानशीलता का उदाहरण है। हमारे शास्त्रों में भी अन्नदान को महादान की संज्ञा दी गई है। छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए समाज की इसी परम्परा का सहारा ले रही है। गौरतलब है कि स्कूलों में नन्हे-मुन्हे बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए न्योता भोजन की शुरूआत स्वयं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने गृह ग्राम बगिया से की थी। उन्होंने वहां के आश्रम शाला के बच्चों को अपने जन्मदिवस पर न्योता भोजन कराया था।
क्या है न्योता भोज-
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना को सामुदायिक सहयोग से और अधिक पोषक बनाने राज्य शासन द्वारा न्योता भोजन की अभिनव पहल की जा रही है। न्योता भोजन की अवधारणा सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। कोई भी व्यक्ति या सामाजिक संगठन, जन्मदिन, वर्षगांठ या अन्य खास मौकों पर अपने पास के स्कूल, आश्रम या छात्रावास में जाकर बच्चों के लिए न्योता भोजन का कार्यक्रम कर सकता है। इसमें पूर्ण भोजन का योगदान किया जा सकता है या अतिरिक्त पूरक पोषण के रूप में मिठाई, नमकीन, फल या अंकुरित अनाज आदि के रूप में खाद्य सामग्री का योगदान दिया जा सकता है।
राज्य के विभिन्न जिलों में हुए न्योता भोजन इस प्रकार है- खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कोंडागांव जिले के 99 प्रतिशत स्कूलों में न्योता भोजन किया जा चुका है। इसी प्रकार जांजगीर-चांपा में 98, धमतरी में 96, सुकमा और राजनांदगांव में 95-95, बालोद में 93, दुर्ग में 90, बेमेतरा, कोरिया और कवर्धा में 89-89, जशपुर और कांकेर में 86-86, रायगढ़ में 75, बिलासपुर में 73, दंतेवाड़ा जिले में 70 प्रतिशत स्कूलों में न्योता भोजन का आयोजन किया जा चुका है।
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