
भोपाल। मध्य प्रदेश की शहरी आबादी में लाल मुंह के बंदर उपद्रव मचाते हैं। नगर निगम या निकाय के अलावा कई बार इसकी शिकायतें वन अधिकारियों को भी की गई है, लेकिन वे बंदरों को पकड़ने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में अब वन विभाग उत्तर प्रदेश के मथुरा निवासी आविद की मदद लेगा।
वन्य प्राणी शाखा के एपीसीसीएफ एल कृष्णमूर्ति ने सभी टाइगर रिजर्व एवं अन्य वनमंडलों को पत्र भेजकर कहा है कि मानव आबादी क्षेत्रों में बंदरों द्वारा द्वंद्व की स्थिति में बंदरों को पकड़ने के लिए मथुरा निवासी आविद नामक व्यक्ति की सेवाएं ली जा सकती हैं क्योंकि इनके पास उत्पाती बंदरों को पकड़ने वाली पार्टी है।
वन्यप्राणी की श्रेणी में नहीं माने जाते लाल मुंह के बंदर
लाल मुंह के बंदर वन्यप्राणी की श्रेणी में नहीं माने जाते हैं जबकि काले मुंह के बंदर वन्यप्राणी श्रेणी में आते हैं। वन विभाग के अनुसार, वर्तमान में लाल मुंह के बंदर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 संशोधित 2022 से बाहर हैं।
स्थानीय निकाय द्वारा इन्हें पकड़कर अन्यत्र छोड़ने का कार्रवाई की जा सकती है। काले मुंह के बंदर पकड़ने में वन विभाग मदद करता है और पिंजरा आदि लगाकर उन्हें पकड़कर घने वन क्षेत्रों में छोड़ने का कार्य करता है। काले मुंह के बंदर से घायल होने पर व्यक्ति को वन विभाग क्षतिपूर्ति राशि भी देता है।