
Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनावों में कैम्पेन के दौरान कई बड़े मुद्दे सामने आए हैं, लेकिन इस बार विपक्षी पार्टियां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास, जिसे ‘शीश महल’ नाम दिया गया है, पर जोर दे रही हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस ने भ्रष्टाचार और गरीबी जैसे मुद्दों को छोड़कर इस आलीशान आवास पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। आइए, इस विवाद के पीछे की कहानी और इसके चुनावी परिणाम पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव पर नज़र डालते हैं।
1. बीजेपी का आक्रामक अभियान
बीजेपी ने केजरीवाल के आवास पर आक्रामक तरीके से हमले शुरू कर दिए हैं। उन्होंने इसे 7-सितारा रिसॉर्ट में बदलने का आरोप लगाया है। पार्टी ने इस मुद्दे को अपने चुनावी अभियान का केंद्र बना लिया है। भारतीय जनता पार्टी के नेता पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कई बार इस शीश महल का जिक्र किया है, जो यह दर्शाता है कि बीजेपी इसे लेकर गंभीर है।
2. विपक्ष की मांगें और AAP का जवाब
जब आम आदमी पार्टी ने इसके खिलाफ मोर्चा खोला, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह सरकारी आवास है और इसे केवल केजरीवाल के लिए नहीं बनाया गया है। AAP के नेता जनता को दिखाने का प्रयास कर रहे हैं कि बीजेपी के आरोप निराधार हैं। हालांकि, उनका यह कदम सिर्फ डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा सकता है।
3. कांग्रेस की भूमिका
कांग्रेस ने शीश महल मुद्दे को उठाने में पहल की थी, लेकिन राजनीति में असमंजस के कारण यह मुद्दा धीरे-धीरे बीजेपी के हाथ में चला गया। अब जब कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुकी है, तब वह इस मुद्दे को गरमाने में जुटी है। हालांकि, उनके प्रयास को कई लोग केवल औपचारिकता मानते हैं।
4. ‘शीश महल’ का महत्व
अगर अरविंद केजरीवाल ने सादगी वाली राजनीति को न अपनाया होता, तो यह मुद्दा शायद इतना बड़ा नहीं बनता। भ्रष्टाचार के मामलों के बावजूद, केजरीवाल की छवि अब भी आम लोगों के बीच बेहतर है। लेकिन उनके आलीशान आवास की चर्चा ने उनकी सादगी की छवि को प्रभावित किया है।
निष्कर्ष
‘शीश महल’ का मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा बन चुका है और यह निस्संदेह नतीजों पर प्रभाव डाल सकता है। यह देखना होगा कि केजरीवाल अपनी छवि को फिर से स्थापित कर पाते हैं या नहीं, और क्या बीजेपी और कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने में सफल होती हैं।