
कोरोना महामारी के दौर में लगे झटकों के बाद लोगों में बचत करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है और खासकर आपातकालीन खर्चों के लिए। अब आलम यह है कि सबसे ज्यादा 61 फीसदी लोग संकट के समय में घर के जरूरी खर्चे चलाने के लिए बचत कर रहे हैं। इसके बाद 48 फीसदी लोग बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए पैसा बचा रहे हैं।
बैंक बाजार की ‘मनीमूड’ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 47 फीसदी लोग मुनाफे, 44 फीसदी लाइफस्टाइल बेहतर करने, 42 फीसदी घूमने, 31 फीसदी सेवानिवृत्ति, 28 फीसदी लग्जरी उत्पादों पर खर्च करने और 27 फीसदी लोग कौशल विकास के लिए बचत कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबी अवधि में बचत करने के लिए लोग फिक्स्ड एवं रिकरिंग डिपॉजिट की जगह अब म्यूचुअल फंड एसआईपी में अधिक निवेश कर रहे हैं। इस साल 62 फीसदी लोगों ने एसआईपी में पैसा लगाया है, जो 2022 के 57 फीसदी की तुलना में पांच फीसदी अधिक है। फिक्स्ड एवं रिकरिंग डिपॉजिट में अपनी गाढ़ी कमाई लगाने वालों की संख्या 54 फीसदी की तुलना में बढ़कर 57 फीसदी पहुंच गई है।
दिवाली पर रिकॉर्ड दो लाख करोड़ खर्च
इस साल दिवाली वाले महीने में लोगों ने दो लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए। 2023 में यह 1.6 लाख करोड़ रुपये था।
इस दौरान कुल 43.3 करोड़ लेनदेन हुए। 2023 में यह 29.7 करोड़ था।
दिवाली वाले महीने में लोगों ने औसतन 4,659 रुपये खर्च किए। यह 2023 के 5,577 रुपये से कम है।
प्रति क्रेडिट कार्ड औसतन खर्च 2023 के 16,734 रुपये से बढ़कर 18,878 रुपये पहुंच गया।