
रायपुर . प्रदेश का पहला डॉप्लर रडार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में तीन माह के भीतर स्थापित होगा. इसकी मदद से अब मौसम की सटीक जानकारी ब्लाक स्तर पर भी मिल जाएगी. 10 वर्षों से लंबित प्रस्ताव पर केंद्र के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने स्वीकृति छह माह पहले दी थी.
एक रडार प्रणाली में एक ट्रांसमीटर होता है, जो पूर्व निर्धारित दिशाओं में रेडियो तरंगों का उत्सर्जन करता है जिसे रडार सिग्नल कहा जाता है. जब ये किसी वस्तु के संपर्क में आते हैं तो वे आमतौर पर कई दिशाओं में परिवर्तित या बिखरे हुए होते हैं. यदि वस्तु ट्रांसमीटर की ओर या उससे दूर जा रही है तो डॉप्लर प्रभाव के कारण रेडियो तरंगों की आवृत्ति में थोड़ा सा सामान परिवर्तन होता है.
डाप्लर रडार मौसम विभाग का अत्याधुनिक पूर्वानुमान उपकरण है. यह 32 मीटर ऊंची बिल्डिंग में लगाने पर 250 किलोमीटर की परिधि के मौसम की सटीक जानकारी देने की क्षमता रखता है. बादलों के घनत्व, हवा की रफ्तार, नमी की मात्रा की पुख्ता जानकारी के साथ-साथ ही अनुमानित चक्रवात, कम या ज्यादा बारिश की चेतावनी, ओला वृष्टि और तूफान आदि का सही-सही व त्वरित पूर्वानुमान इससे मिलता है. 32 मीटर की ऊंचाई पर लगने वाला यह रडार ढाई सौ किलोमीटर परिधि (रेडियस) में मौसम की कोई भी हलचल भांपकर उसकी हर दो घंटे में जानकारी देने की क्षमता रखता है.
37 लाख किसानों को मिलेगा लाभ
कृषि विज्ञानियों के अनुसार प्रदेश में डॉप्लर रडार स्थापित होने से किसानों के लिए यह वरदान साबित होगा. प्रदेश में 37 लाख किसान खेती-बाड़ी से सीधे जुड़े हुए हैं. इससे किसानों को खेती किसानी और मौसम संबंधी समसमायिक गुणवत्ता युक्त पहुंचाने में मददगार होगा. डॉप्लर रडार की सहायता से वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन के कारण बादल फटना, चक्रवात जैसी घटनाओं की आवृत्ति का समय पर सटीक, पूर्वानुमान लगा सकेंगे और राज्य शासन को पहले से सूचना देकर हानि को कम किया जा सकेगा.
विशाखपट्टनम के रडार से ले रहे हैं जानकारी
अभी प्रदेश में मौसम कैसा रहेगा, कितनी बारिश होगी, कब होगी, यह जानने के लिए मौसम विभाग विशाखापट्टनम व नागपुर स्थित राडार की मदद लेता है. लेकिन दोनों ही सेंटर दूर होने के कारण वास्तविक पूर्वानुमान नहीं हो पाता. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि रायपुर में राडार के लगने पर रायपुर का वास्तविक पूर्वानुमान जारी किया जा सकेगा. पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के भोपाल के अलावा विशाखापट्टनम, नागपुर समेत अन्य शहरों में डॉप्लर रडार लगे हैं. भारत में कुल 33 डॉप्लर रडार लगे हुए हैं.
सोमवार को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर चंदेल की उपस्थिति में प्रादेशिक मौसम केंद्र नागपुर के महानिदेशक उप महानिदेशक एमएल साहू तथा डीआरएस के इंचार्ज डॉक्टर त्रिपाठी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए. इसके लिए केंद्र से राज्य को 10 करोड़ रुपये मिले हैं. इस रडार की मदद से प्रदेश के 37 लाख किसानों को मौसम का पूर्वानुमान पता चलेगा. यह रडार पहले 2010-11 स्थापित होना था, लेकिन लगाने के लिए इसलिए इतना लंबा समय टाल दिया कि छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से सेफ जोन में हैं.
अभी किसानों को सही समय पर मौसम के खराब होने की जानकारी नहीं मिलने से हर साल नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस अवसर पर इनके अतिरिक्त मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एच ए के सिंह, वैज्ञानिक डॉ. गायत्रीवाणी कांचीभोटला, एचपी चंद्रा, प्रकाश चंद्राकर, कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि मौसम सेवा से डॉ. जीके दास, जेएल चौधरी तथा वहां के सभी स्टाफ मेंबर उपस्थित थे.