
रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली त्योहार केवल गेड़ी चढ़ने का त्योहार नहीं है। यह जीवन के उल्लास का त्योहार है। जीवन में उल्लास ऐसे ही नहीं आता। इसके लिए वातावरण बनाना होता है। हमारे प्रदेश में किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। पिछले पौने पांच सालों में हमारी सरकार ने कृषि हितैषी नीतियां बनाईं जिससे किसान के घर खुशियां लौटीं हैं। आज हरेली के त्योहार पर जो अपूर्व उल्लास किसानों के बीच छलक रहा है उससे बहुत खुशी हो रही है। हरेली तिहार के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने निवास में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमने किसान-मजदूर को लक्षित कर योजनाएं बनाईं। इससे कृषि का रकबा बढ़ा और अब तो प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदने के निर्णय से यह उल्लास अपने चरम पर है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से दूध उत्पादन बढ़ा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आर्थिक स्थिति बेहतर होने से त्योहार का उल्लास अपने चरम पर है।
उन्होंने प्रदेशवासियों को हरेली त्यौहार की शुभकामनाएं देते हुए अच्छी फसल और किसानों की समृद्धि की कामना की। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हरेली में किसान अपने कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं और पशुधन को लोंदी खिलाया जाता है। इस तरह से हम अपने पशुधन को सहेजते हैं और उनके माध्यम से हमारी तरक्की का रास्ता खुलता है। उन्होंने कहा कि आज आदिवासी क्षेत्रों में भी खुशी का माहौल है। हमारे पूर्वजों द्वारा बरसों से तैयार की गई संस्कृति नष्ट हो रही थी। इसे सहेजने-संरक्षित करने का प्रयास हमने किया है और बहुत बढ़िया काम हो रहा है। आदिवासी अंचल में आस्था केन्द्रों को संरक्षित करने का काम किया जा रहा है। नारायणपुर में घोटुल का संरक्षण किया गया है। बस्तर के आसना में बादल के माध्यम से आदिम संस्कृति को सहेजने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारे आदिवासी जीवन की परंपरा बहुत समृद्ध है। इन परंपराओं के बारे में हम सोचे तो चकित हो जाते हैं। यह ऐसी संस्कृति है जो अपने देवी-देवताओं के साथ रहती है। उनसे गहन लगाव रखती है। हमने इसे संरक्षित करने का काम किया है।