
रायपुर/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं. सदस्य लक्ष्मी वर्मा, ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 310 वी. एवं रायपुर जिले में 152 वी. जनसुनवाई की गई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि आवेदिका और अनावेदक का एक 14 वर्षीय बेटा है। वह भी अपने पिता के खिलाफ बोल रहा है। शारीरिक मानसिक प्रताड़ना के कारण आवेदिका अनावेदक के साथ रहने के लिए तैयार नहीं है। दोनो पक्ष आपसी राजीनामा से तलाक के लिए काउंसलिंग की सलाह आयोग के द्वारा दिया गया। अनावेदक (पति) ट्रांसपोर्ट ब्रोकर का कार्य करता है और 55 हजार रू. महिना कमाता है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक (पति) आवेदिका व बच्चे के भरण-पोषण हेतु प्रति माह 12 हजार रू. देने के लिए तैयार हुआ। साथ ही बच्चे के स्कूल फीस, ट्यूशन फीस का खर्च अलग से वहन करेगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने उनकी बेटी को घर में आने से सामाजिक रूप से रोक लगा दिया है। दोनो पक्षों को विस्तार से सुना गया अनावेदक ने आवेदिका के समक्ष मौखिक रूप से बोलकर यह स्वीकारा कि वह आवेदिका की बेटी पर घर आने-जाने के लिए सामाजिक रूप से कोई रोक नहीं लगाया है। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में भी आयोग की समझाईश पर अनावेदक (पति) ने घर का राशन व समस्त खर्चे वहन करने के अतिरिक्त आवेदिका को प्रति माह 4000 रू. भरण-पोषण देना स्वीकार किया। एक वर्ष तक प्रकरण की निगरानी आयोग के द्वारा किया जायेगा।
एक प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक पर कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करायी थी, जिस पर आंतरिक परिवाद समिति की रिपोर्ट अब तक अप्राप्त है। अनावेदक का कथन है कि उसे बाइज्जत बरी किया गया है। आवेदिका का कथन है कि उसे कॉलेज से निकाल दिया गया है। ऐसी दशा में कॉलजे के प्राचार्य को आयोग के द्वारा पत्र प्रेषित किया जायेगा कि वह आंतरिक परिवाद समिति की रिपोर्ट व अध्यक्ष को लेकर आयोग की आगामी सुनवाई में उपस्थित हो जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
एक अन्य प्रकरण के दौरान पिछली सुनवाई में आवेदिका ने बताया था कि विवाह के बाद अनावेदक द्वारा आवेदिका के पुराने रिकॉर्ड निकालकर उसका चारित्रिक हनन का प्रयास किया, जिससे विवाह में समस्या पैदा हुई। जिससे दोनो पक्षों को आपसी राजीनामा से तलाक लिए जाने की सलाह दी गई थी। उभय पक्षों की काउंसलिंग के दौरान अनावेदक (पति) 05 लाख रू. देने के लिए तैयार हुआ जिससे आवेदिका सहमत नहीं थी। उभय पक्षों को सुलहनामा पर विचार करने का अवसर दिया गया था। किंतु आज दिनांक की सुनवाई के दौरान उभय पक्ष सुलहनामा हेतु तैयार नहीं है। अनावेदक के पास आवेदिका के विवाह में दिया गया सामान भी रखा हुआ है। उभय पक्षों के मध्य सुलह होती हुई नहीं दिख रही है। आवेदिका को सलाह दिया गया कि वह अनावेदक के खिलाफ दिवानी और अपराधिक प्रकरण दर्ज कराकर न्यायालय के माध्यम से प्रकरण का निराकरण करा सकती है। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।