
महासमुंद. राशनकार्ड का कवर नहीं आने के कारण जिले के 70 हजार हितग्राहियों को नया कार्ड नहीं मिल पाया है. हितग्राही पंचायत व उचित मूल्य दुकानों के चक्कर काट रहे हैं. तीन लाख पीडीएफ भी प्रिंट हो चुके हैं. राशनकार्ड वितरण के समय ही आचार संहिता लग जाने से नया कार्ड का वितरण रोक दिया गया था. लोगों को पुराने राशनकार्ड से ही राशन मिल रहा था. जिले में कुल तीन लाख 33 हजार राशनकार्डधारी हैं.
खाद्य विभाग का कहना है कि विभाग की ओर से राशनकार्ड का वितरण किया जा चुका है, लेकिन पंचायताें से अब तक वितरण नहीं हो पाया है. जनपद महासमुंद से 30 हजार, जनपद पिथौरा से 41500, जनपद बसना 21900, जनपद सरायपाली 20 हजार, नगर पालिका महासमुंद 3200, नपा बागबाहरा में 850, पिथौरा में 324, नपं बसना 500, नपा सरायपाली में 132 लोगों को राशनकार्ड नहीं मिल गए हैं. कार्ड के लिए कवर आते ही राशनकार्ड का वितरण किया जाएगा. लोगों को पुराने कार्ड से राशन मिलने से राहत है. सहायक खाद्य अधिकारी संजय शर्मा ने बताया कि जैसे ही नए कवर आएंगे, बाकी हितग्राहियों को नया राशनकार्ड भी जारी कर दिया जाएगा. आचार संहिता लगे होने के कारण नया राशनकार्ड वितरण नहीं कर रहे थे, लेकिन अब नए कार्ड के वितरण में तेजी आएगी. लोगों को घर जाकर राशनकार्ड दिया जाएगा. नया कार्ड नहीं मिलते तक हितग्राही पुराने राशनकार्ड से दुकानों से राशन ले सकते हैं.
राशनकार्ड नवीनीकरण के लिए 28 हजार से अधिक आवेदक विभिन्न कारणों से आवेदन नहीं कर पाए हैं. विभाग का पोर्टल भी बंद हो चुका है और एक महीने 11 दिन बाद भी कोई नया निर्देश जारी नहीं किया गया है. नए आवेदन करने के लिए लोग विभाग के चक्कर काट रहे हैं. अधिकारी भी नहीं बता पा रहे हैं कि पोर्टल कब तक शुरू होगा. कई हितग्राहियों का मोबाइल नंबर भी लिंक नहीं हो पाया है. इसके कारण उन्हें राशनकार्ड के लिए आवेदन करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वर्तमान में कुछ मिनटों में ही हितग्राहियों का मोबाइल नंबर जुड़ जाता है. इसके बाद भी कई हितग्राहियों ने अपना मोबाइल नंबर भी नहीं जुड़वाया है.
राशनकार्ड के सदस्यों का ई-केवायसी कार्य भी अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है. लगभग 2 लाख 50 हजार सदस्यों की ई-केवायसी बाकी है. पूर्व में ई-केवायसी कराने के लिए शिविर भी लगाए गए. इसके बाद भी राशनकार्ड में दर्ज सदस्यों ने ई-केवायसी कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. विभाग का कहना है कि बुजुर्ग और बच्चों की ही ई-केवायसी शेष है. ग्रामीण क्षेत्राें में शिविर लगाने के बाद भी लोग आगे नहीं आ रहे हैं.