
रायपुर: मनरेगा योजना, भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना और गरीबी कम करना है। इस योजना के तहत पंजीकृत श्रमिकों को न केवल रोजगार उपलब्ध कराया जाता है बल्कि आजीविका के नए-नए साधन और सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। मनरेगा के तहत किए गए एक ऐसे ही काम ने बीरसाय के जीवन में एक नई उम्मीद जगाई है।
एक किसान की बदली हुई किस्मत
मनरेन्द्रगढ़-भरतपुर-चिरमिरी जिले के ग्राम पंचायत लाई में रहने वाले बीरसाय के पास जो भूमि थी, वह खेती के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त थी। लेकिन मनरेगा योजना के तहत उन्होंने अपनी इस भूमि को समतल करवाने का फैसला किया। ग्राम सभा की मंजूरी के बाद जिला पंचायत कोरिया ने इस कार्य के लिए धनराशि स्वीकृत की। बीरसाय ने स्वयं अपने गांव के अन्य श्रमिकों के साथ मिलकर अपनी भूमि को कृषि योग्य बनाया। इस कार्य के बदले उन्हें 100 दिन का रोजगार भी मिला और उनकी मजदूरी सीधे उनके बैंक खाते में जमा हो गई।
सब्जी की खेती से बढ़ी आय
अपनी भूमि को कृषि योग्य बनाने के बाद बीरसाय ने शासन की टपक सिंचाई योजना का लाभ उठाया और मल्चिंग खेती भी शुरू की। इस तरह उन्होंने कम पानी में ही सब्जी की खेती शुरू कर दी। बीरसाय अब हर महीने 10 से 15 हजार रुपये की आय सब्जी बेचकर करते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
एक नई शुरुआत
बीरसाय कहते हैं कि मनरेगा योजना के तहत भूमि सुधार और कृषि विभाग से मिली सुविधाओं ने उनकी जिंदगी बदल दी है। अब उन्हें रोजगार की चिंता नहीं रहती है। वे सब्जी के साथ-साथ धान और गेहूं की खेती भी करते हैं जिससे उनकी आय और बढ़ गई है। बीरसाय की कहानी यह दर्शाती है कि कैसे एक छोटे से काम ने एक किसान की किस्मत बदल दी।