
देश के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के रहने वाले उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी (Rajaram Tripathi) अपने एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं. राजाराम त्रिपाठी प्रदेश के पहले ऐसे किसान हैं जो हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं. 7 करोड़ की लागत से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से डील भी कर ली है. साल भर के अंदर उनके पास R-44 मॉडल की 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा.
सफेद मूसली, काली मिर्च और जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का संचालन करने वाले किसान राजाराम त्रिपाठी पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. हाल ही में उन्हें करीब 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने और यह खेती सफल होने की वजह से उन्हें सम्मान भी किया गया था. उन्हें जैविक खेती के लिए भी कई बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है. वहीं अब अपने खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं.
खेती के क्षेत्र में राजाराम त्रिपाठी अपना दायरा बढ़ा रहे थे. 2002 में मूसली की कीमतों में गिरावट आई तो उन्हें बड़ा झटका लगा. उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. वह लगातार नए आइडिया के साथ काम कर रहे थे. इसके बाद उन्होंने और कई प्रकार की खेती शुरू की. इसमें काली मिर्च, स्टेविया के साथ अन्य फसलों का उत्पादन विदेशी तरीके से शुरू किया. किसान राजाराम त्रिपाठी को इसमें सफलता मिलने लगी. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है.
बैंक की नौकरी छोड़ कर बन गए किसान
बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि उनका पूरा परिवार खेती-बाड़ी पर निर्भर है. कई साल पहले अपनी बैंक की नौकरी छोड़ वे लंबे समय से खेती-बाड़ी करते आ रहे हैं. साथ ही वे मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का भी संचालन कर रहे हैं. बस्तर में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती कर इसे बढ़ावा देने के साथ ही पूरे प्रदेश में बड़े स्तर पर इकलौते सफेद मुसली की खेती करते आ रहे हैं. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि उनके समूह द्वारा यूरोपीय और अमेरिकी देशों में काली मिर्च का भी निर्यात किया जा रहा है. अब अपनी लगभग एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं.
किसान राजाराम त्रिपाठी 400 आदिवासियों को साथ लेकर एक हजार एकड़ में औषधीय खेती करते हैं. इसके बाद उन्होंने अपनी एक कंपनी बना ली है. इसका नाम मां दंतेश्वरी हर्बल समूह है. कंपनी का टर्नओवर 25 करोड़ है. कंपनी अमेरिकी और यूरोपीय देशों में काली मिर्च का निर्यात करता है. खेती के लिए वह ऑस्ट्रेलियन ट्रिक का इस्तेमाल करते हैं. भारत सरकार उन्हें देश के सर्वेश्रेष्ठ किसान ऑवर्ड से सम्मानित कर चुकी है. वह खेती कार्य में उपयोग होने वाले तकनीक को विदेश जाकर देखते रहते हैं.
कैसे आया हेलीकॉप्टर से खेती का आइडिया?
उन्होंने बताया कि अपने इंग्लैंड और जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग हो रहा है, और काफी बेहतर तरीके से इसका रिजल्ट भी मिल रहा है, बस इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने की ठानी और हेलीकॉप्टर खरीदने का पूरी तरह से मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से डील भी कर लिया. राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं ताकि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें. उन्होंने बताया कि फसल लेते समय कई प्रकार के कीड़े फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, और हाथों से दवा छिड़काव से भी कई जगह दवा छूट जाते हैं, जिससे कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है. हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाला जा सकता है, जिससे फसलों को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.