
क्रेडा के सीईओ के दौरे और संवेदनशील नेतृत्व का दिखा ज़मीनी असर
छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचलों में अब अंधेरे की जगह रोशनी ने घर कर लिया है। सूरजपुर जिले के उन गाँवों में, जहाँ वर्षों से सौर ऊर्जा पर आश्रित परिवार बिजली की कम आपूर्ति से परेशान थे, अब फिर से पूरी रात बिजली जल रही है। यह बदलाव केवल तकनीकी नहीं, सुशासन, संवेदनशील नेतृत्व और समयबद्ध कार्रवाई का प्रत्यक्ष परिणाम है। प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में क्रेडा (छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण) द्वारा जिला सूरजपुर के गाँवों में स्थापित सोलर पावर संयंत्रों की पुरानी बैटरियाँ बदलकर उन्हें पुनः पूर्ण कार्यशील बनाया गया है।
महुली गाँव की तस्वीर बदली-अब रातें रोशन
विकासखंड ओड़गी के ग्राम महुली के स्कूल पारा, चौरा पारा और खास पारा पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा पर आश्रित ग्राम हैं। इन ग्रामों में 10-10 किलोवॉट क्षमता के सोलर पावर प्लांट स्थापित थे, जिनमें स्थापित बैटरियों को बदलकर उक्त संयंत्रों को सुचारू रूप से कार्यशील किया गया है। ये सभी सोलर पावर प्लांट वर्ष 2019 में स्थापित किये गये थे और 05 साल से अधिक समय तक ये सुचारू रूप से कार्यशील थीं, किन्तु समय के साथ बैटरियों की दक्षता कम हो जाने के कारण इन सोलर प्लांट्स के आश्रित घरों को अपेक्षाकृत कम समय तक बिजली मिल रही थी। प्रदेश के इन ग्रामों में स्थापित इन कम दक्ष संयंत्रों को पूर्ण दक्ष बनाने हेतु मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी के मंशा अनुरुप क्रेडा अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेश सिंह राणा द्वारा सोलर पावर प्लांटों में नई बैट्री बैंक स्थापना हेतु कार्यवाही की गई है। तद्नुसार अब, क्रेडा द्वारा नई बैट्री बैंक की स्थापना कर इन संयंत्रों को फिर से शत-प्रतिशत कार्यशील बना दिया गया है। इसके फलस्वरूप अब 150 से अधिक परिवारों को रात्रि में लगातार बिजली उपलब्ध हो रही है। बच्चों को पढ़ाई के लिए स्थायी रोशनी मिल रही है, महिलाएँ सुरक्षित महसूस कर रही हैं और गाँव की गतिविधियाँ रात में भी जारी रह पा रही हैं।
सी.ई.ओ. क्रेडा के दौरों का दिखा असरः क्रेडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री राजेश सिंह राणा द्वारा विगत माह जिले के इन सौर संयंत्रों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के पश्चात उनके द्वारा संयंत्रों की कमियों को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए और प्रस्ताव तैयार कर क्रेडा के प्रधान कार्यालय भेजने हेतु क्रेडा के अधिकारियों को निर्देशित किया गया।
क्रेडा अध्यक्ष ने दी त्वरित स्वीकृति, दिखाई प्रशासनिक दक्षताः
जब सूरजपुर जिले से सौर संयंत्रों की बैटरियों की क्षमता कम होने और बिजली आपूर्ति बाधित होने की जानकारी सामने आई, तब क्रेडा अध्यक्ष श्री भूपेंद्र सवन्नी ने बिना किसी देरी के इन समस्याओं को प्राथमिकता पर लेते हुए त्वरित स्वीकृति प्रदान की। उनकी सक्रिय और संवेदनशील कार्यशैली के चलते प्रस्तावों को तत्काल स्वीकृत किया गया, जिससे कार्य में कोई विलंब नहीं हुआ। यह न केवल प्रशासनिक कुशलता का परिचायक है, बल्कि ग्रामीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। उनकी स्वीकृति से नई बैटरी बैंक की स्थापना समयबद्ध ढंग से पूरी हुई, जिससे सैकड़ों परिवारों को फिर से निर्बाध सौर ऊर्जा प्राप्त हो सकी।
नई ऊर्जा, नई उम्मीद-बाँकी और खोड़ गाँवों के लिए भी कार्य प्रारंभ
क्रेडा अब केवल महुली तक सीमित नहीं है। अगला चरण शुरू हो चुका हैः
• ग्राम बाँकी और खोड़ जैसे क्षेत्र, जहाँ पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भरता है, वहां भी सुधारात्मक कार्य तेज़ी से किया जा रहा है।
• इन गाँवों में कुल 07 सौर संयंत्र हैं और इनके लिए 372 नई बैटरियों के स्थापना हेतु कार्यादेश जारी किए जा चुके हैं।
• इन प्रयासों से अब और अधिक परिवारों को बिजली उपलब्ध होगी और उनकी जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव आएगा।
“सूरजपुर के ग्रामीण अब सौर ऊर्जा के उजाले में प्रगति की नई राह पर हैं।“
इन कार्यों से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार और क्रेडा केवल परियोजनाओं की घोषणा तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन की दिशा में भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सौर ऊर्जा को ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता का मूल स्तंभ बनाते हुए छत्तीसगढ़ अब हर घर में उजाला पहुँचा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की “सभी के लिए ऊर्जा” नीति को ज़मीन पर उतार ने में क्रेडा अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सवन्नी और श्री राणा की नेतृत्व क्षमता ने अहम भूमिका निभाई है। और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशा को ज़मीन पर उतारता यह कार्य राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रेरणा दायक पहल के रूप में देखा जा रहा है।