
Delhi News: दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपनी फाइनल कैंडिडेट लिस्ट जारी कर दी है। अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से तो आतिशी कालकाजी से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, इस लिस्ट को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या ये लिस्ट पार्टी के विकास के दावों को मजबूत करती है या फिर अंदरूनी कलह और चुनावी मजबूरियों को उजागर करती है?
पुराने चेहरे, नई सियासत?
AAP की लिस्ट में ज्यादातर उम्मीदवार पार्टी के पुराने चेहरे हैं, जिनमें सोमनाथ भारती, सत्येंद्र जैन और गोपाल राय शामिल हैं। वहीं, कुछ सीटों पर टिकट कटने और नए नामों को शामिल करने से पार्टी के अंदरूनी मतभेद सामने आ रहे हैं। कस्तूरबा नगर से मदनलाल का टिकट काटकर रमेश पहलवान को मौका देना क्या किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा है या सिर्फ दबाव की राजनीति का परिणाम?
परिवारवाद की राजनीति?
AAP ने कई सीटों पर परिवारवाद को बढ़ावा दिया है। उत्तम नगर से नरेश बाल्यान की पत्नी पूजा नरेश बाल्यान को टिकट दिया गया है, जबकि नरेश बाल्यान जेल में हैं। पार्टी जो खुद को ‘ईमानदारी और पारदर्शिता’ की प्रतीक बताती है, क्या वह वाकई इन दावों पर खरी उतर रही है?
‘विकास’ के दावों की हकीकत
अरविंद केजरीवाल ने लिस्ट जारी करते हुए कहा कि AAP के पास दिल्ली के विकास के लिए विजन और टीम है। लेकिन पिछले दस सालों में पार्टी की कई योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रही हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों का प्रचार तो हुआ, लेकिन क्या इनसे वाकई दिल्ली के हर वर्ग को फायदा पहुंचा?
बीजेपी पर हमले, अपनी नाकामी छिपाने का प्रयास?
केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी का एकमात्र मिशन ‘केजरीवाल हटाओ’ है। लेकिन सवाल यह है कि क्या AAP की अपनी राजनीति सिर्फ दूसरों पर आरोप लगाने तक सीमित नहीं हो गई है? दिल्ली की कई समस्याएं, जैसे प्रदूषण, पानी की किल्लत और महिला सुरक्षा, पर AAP का काम संतोषजनक नहीं रहा है।
अवसरवाद और गठबंधन की राजनीति
पार्टी ने कई विवादित चेहरों को भी मौका दिया है, जिससे उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े होते हैं। इसके अलावा, कांग्रेस के साथ गठबंधन पर भी पार्टी का रुख स्पष्ट नहीं है। गठबंधन की राजनीति और ‘हर सीट जीतने’ का दावा कहीं न कहीं पार्टी की असुरक्षा को दर्शाता है।
दिल्ली की जनता के सामने सवाल
AAP की फाइनल लिस्ट इस बात का संकेत देती है कि पार्टी चुनावी गणित साधने की कोशिश में ज्यादा व्यस्त है, बजाय दिल्ली की जनता के लिए ठोस समाधान पेश करने के। क्या दिल्ली की जनता इस बार भी ‘विकास के सपनों’ के नाम पर AAP को मौका देगी, या फिर इन चुनावी दांव-पेंचों के पीछे की हकीकत को समझेगी?
दिल्ली के आगामी चुनाव सिर्फ AAP और बीजेपी के बीच की लड़ाई नहीं, बल्कि जनता के सामने असल मुद्दों को उठाने और सुलझाने की चुनौती का समय है।