
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) को आखिरकार 95, लोधी एस्टेट का टाइप-7 बंगला आवंटित कर दिया गया है। इस आवंटन के लिए AAP को केंद्र सरकार के खिलाफ लंबी और कड़वी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। साल 2013 की सर्दियों में, केजरीवाल और उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित सफलता हासिल की थी। उस समय केजरीवाल ने अपने अभियान में यह वादा किया था कि जब तक वे मुख्यमंत्री रहेंगे, वे सरकारी बंगले या वाहन का उपयोग नहीं करेंगे।
यह आवंटन दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद हुआ है। सूत्रों के अनुसार, केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने सोमवार को बंगले का दौरा भी किया। इस बंगले में केजरीवाल से पहले पूर्व आईपीएस अधिकारी और भाजपा नेता इकबाल सिंह लालपुरा भी रह चुके हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बंगला आवंटन में हुई देरी की आलोचना की थी और केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा सरकारी आवासों के प्रबंधन में पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया था। यह मामला अरविंद केजरीवाल के लिए केंद्र में स्थित आवास की मांग करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की याचिका से जुड़ा था। अदालत ने 16 सितंबर 2025 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के टालमटोल रवैये की निंदा करते हुए कहा कि सरकारी आवंटन प्रक्रिया सभी के लिए फ्री और पारदर्शी प्रणाली होनी चाहिए और इसमें किसी को चुनिंदा रूप से प्राथमिकता नहीं दी जा सकती।