
Delhi: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर एक बार फिर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर दिल्ली के कुछ इलाकों में लोगों के वोट काट रही है। शाहदरा विधानसभा के आंबेडकर कैंप और अन्य इलाकों में रह रहे लोगों से बातचीत करके सोशल मीडिया पर दावा किया कि भाजपा “चुन-चुन कर” वोट काट रही है। केजरीवाल का यह आरोप तथ्यों से परे और राजनीति की एक और घटिया चाल जैसी प्रतीत होती है, जो केवल अपने विरोधियों को बदनाम करने की एक साजिश के रूप में दिखता है।
केजरीवाल का दावा: तथ्यों का अभाव
केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर यह दावा किया कि भाजपा ने शाहदरा क्षेत्र के 300 से अधिक लोगों के वोट काट दिए, जो पिछले 20-30 सालों से उसी इलाके में रह रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन वोटों की सूची में बदलाव भाजपा के बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) की शिकायत पर किया गया। हालांकि, केजरीवाल के इस आरोप का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। इन आरोपों में कोई विश्वसनीयता नहीं दिखती, और यह केवल एक राजनीतिक प्रचार अभियान जैसा लगता है, जो आम आदमी पार्टी (आप) के अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किया जा रहा है।
वोटर लिस्ट में बदलाव एक सामान्य प्रक्रिया है, जो समय-समय पर होती रहती है। यह प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित नियमों और मानकों के तहत होती है, और इसमें किसी भी राजनीतिक दल की ओर से कोई बाहरी दबाव डालना संभव नहीं है। फिर भी केजरीवाल ने बिना किसी ठोस जानकारी के भाजपा को दोषी ठहराने का प्रयास किया है, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि उनका आरोप सिर्फ एक आरोप है, न कि सच्चाई।
केजरीवाल की राजनीति: दूसरों को दोष देना, खुद को शिकार दिखाना
केजरीवाल के इस तरह के आरोपों से उनकी राजनीति की एक पुरानी शैली झलकती है – दूसरों को दोष देना और खुद को हर घटना का शिकार बताना। उनके द्वारा भाजपा पर वोट कटवाने का आरोप लगाना इस बात का प्रमाण है कि वह अपनी नाकामियों और कमजोरियों को छिपाने के लिए ऐसे सस्ते तर्कों का सहारा ले रहे हैं। यह एक ऐसी रणनीति है जिसे वह आम तौर पर तब अपनाते हैं जब उनकी सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश बढ़ता है या जब उनके प्रशासनिक निर्णयों को लेकर सवाल उठने लगते हैं।
केजरीवाल की यह आदत बन गई है कि जब भी उन्हें चुनावी परिणामों में कठिनाइयाँ आती हैं, तो वह ऐसे आरोप लगाकर अपनी असफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि भाजपा वाकई वोट कटवा रही है, तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग या अन्य नियामक संस्थाएं कोई कदम क्यों नहीं उठा रही हैं?
क्या है केजरीवाल का असली मकसद?
क्यों न केजरीवाल इस बात का खुलासा करें कि वे जिन इलाकों का जिक्र कर रहे हैं, वहां के लोग वास्तव में भाजपा के खिलाफ कितने सक्रिय रहे हैं? क्या यह राजनीतिक आरोप सिर्फ दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर नहीं किए गए हैं? यह बात भी ध्यान में रखने योग्य है कि केजरीवाल ने जिन लोगों की वीडियो साझा की है, उनके बयान भी पूरी तरह से तथ्यात्मक रूप से सही नहीं हो सकते, क्योंकि इन आरोपों में ज्यादातर व्यक्तिगत अनुभव हैं, जिनका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता।
अरविंद केजरीवाल का भाजपा पर यह आरोप पूरी तरह से राजनीतिक मंशाओं से प्रेरित है। उनका आरोप न तो नए हैं और न ही इसमें कोई नई बात है। दिल्ली में उनकी सरकार के दौरान कभी भी उन्होंने इस तरह के आरोपों के बारे में गंभीरता से कोई जांच नहीं करवाई, और न ही कभी उन्होंने इस मुद्दे को सही तरीके से उठाया। इसके बजाय, यह एक और प्रयास है जनता को गुमराह करने का और विपक्षी पार्टी को बदनाम करने का। इस पूरे मामले में न तो किसी ठोस सबूत का उल्लेख किया गया है, और न ही इस आरोप को लेकर किसी गंभीर निष्कर्ष पर पहुंचा गया है।
अरविंद केजरीवाल को अपने आरोपों को साबित करने के बजाय जनता के सामने अपनी सरकार की असलियत रखनी चाहिए, और अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश करने के बजाय उन पर काम करना चाहिए।