
Delhi Polls: दिल्ली विधानसभा चुनावों में अब सिर्फ कुछ ही सप्ताह बाकी हैं, और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए चुनावी माहौल और भी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। चुनावी रणनीतियों के तहत, जहां वे अपनी नीतियों का प्रचार कर रहे हैं, वहीं उनकी सत्ता में रहते हुए किए गए वादों पर सवाल भी उठने लगे हैं। खासतौर पर दिल्ली की 1,194 झुग्गी बस्तियों के निवासी और ऑटो चालक अब उनके खिलाफ होते जा रहे हैं।
झुग्गी बस्तियों में नाराजगी और भाजपा का फायदा
आम आदमी पार्टी के लिए झुग्गी-झोपड़ी कॉलोनियां हमेशा से एक मजबूत वोट बैंक रही हैं। इन बस्तियों के निवासी AAP के शुरुआती समर्थक थे, जब पार्टी ने उनके लिए कई योजनाएं शुरू कीं। हालांकि, अब स्थिति बदल चुकी है। शराब घोटाले में अनियमितताओं के आरोपों और केजरीवाल के सरकारी आवास के जीर्णोद्धार के नाम पर दिखावटीपन की खबरों ने उनकी “आम आदमी” की छवि को धक्का पहुँचाया है। यही कारण है कि इन झुग्गी बस्तियों के कई निवासी अब AAP से अपनी दूरी महसूस करने लगे हैं।
भाजपा ने इस बदलाव का पूरा फायदा उठाने की कोशिश की है। पार्टी ने दिल्ली के विभिन्न झुग्गी बस्तियों में रात भर रुकने का अभियान शुरू किया, जहां भाजपा नेताओं ने सीधे तौर पर निवासियों से बातचीत की। इस दौरान भाजपा नेताओं ने झुग्गीवासियों के साथ भोजन भी किया, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि वे उनके साथ खड़े हैं। भाजपा के नेता, जैसे दुष्यंत गौतम और रामवीर सिंह बिधूड़ी, इस अभियान का हिस्सा बने और उन्होंने झुग्गीवासियों की समस्याओं को सीधे समझने की कोशिश की।
AAP के वादों पर सवाल
दिल्ली में झुग्गी बस्तियों के लिए AAP ने कई योजनाएं शुरू की थीं, जैसे घरों के वैधकरण की प्रक्रिया और बेहतर जलापूर्ति। लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कई झुग्गीवासियों के मन में यह चिंता है कि क्या उनके घरों को अवैध घोषित कर दिया जाएगा और क्या उन्हें बेघर कर दिया जाएगा, जैसा कि मुख्यमंत्री आतिशी की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में संकेत दिया गया था। इसके अलावा, मानसून के दौरान जलभराव और समय पर पानी की आपूर्ति जैसी समस्याएं अभी भी सुलझाई नहीं गई हैं।
इस असंतोष को देखते हुए, भाजपा ने अपनी रणनीति को तेज कर दिया है और अब झुग्गी बस्तियों में अपने प्रभाव को मजबूत करने में जुटी है। भाजपा का मानना है कि अगर वे झुग्गीवासियों की समस्याओं को सही ढंग से उठाती हैं और कुछ बड़े घोषणाएं करती हैं, तो वे केजरीवाल के सबसे मजबूत वोट बैंक को कमजोर कर सकती हैं।
AAP का असल इरादा
अरविंद केजरीवाल आज दोपहर बुजुर्गों के लिए एक नई घोषणा करने जा रहे हैं, लेकिन क्या यह वास्तव में उनके लिए सुधार की दिशा में एक कदम है या फिर सिर्फ एक चुनावी रणनीति? चुनाव से पहले ऐसी घोषणाएं न केवल एक वर्ग को खुश करने के लिए होती हैं, बल्कि इनसे वोट बैंक को भी अपनी ओर खींचने की कोशिश होती है। यही स्थिति झुग्गी बस्तियों और ऑटो चालकों के मामले में भी है, जहां केजरीवाल की पार्टी के लिए यह वफादारी अब सवालों के घेरे में है।
क्या भाजपा के पास है चुनावी सफलता का चांस?
भाजपा के लिए अब 1,194 झुग्गी बस्तियों और ऑटो चालकों का समर्थन हासिल करना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बन गया है। पार्टी इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। यदि भाजपा झुग्गीवासियों की समस्याओं को सही तरीके से उठाती है और उन पर प्रभावी कदम उठाती है, तो यह केजरीवाल के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
आखिरकार, दिल्ली के मतदाता अब यह तय करने में सक्षम होंगे कि कौन उन्हें असल में सुविधाएं दे रहा है और कौन सिर्फ चुनावी वादों से उन्हें लुभाने की कोशिश कर रहा है। AAP को अब अपनी नीतियों पर खरा उतरना होगा, नहीं तो यह चुनावी संघर्ष उनके लिए और भी कठिन हो सकता है।