
Delhi Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की बात की, जो बीजेपी की हिंदुत्व आधारित चुनावी रणनीति को और मजबूती देने वाला कदम है। शाह ने संसद में यह बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में UCC को लागू किया जाएगा, और विशेष रूप से उत्तराखंड का उदाहरण दिया, जहां यह पहले से ही लागू है। यह कदम दिल्ली चुनाव में बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे को उजागर करने के लिए उठाया गया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम दिल्ली के मतदाताओं को आकर्षित करने में सफल होगा?
बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा और UCC
बीजेपी ने हमेशा से हिंदुत्व को अपने चुनावी प्रचार का प्रमुख हिस्सा बनाया है, और समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर अमित शाह का ताजा बयान इसे और स्पष्ट करता है। बीजेपी की यह रणनीति हर धर्म और जाति के लिए समान कानून की बात करती है, जो कि संविधान में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। शाह ने यह भी कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में मुस्लिम पर्सनल लॉ को लागू करने की वजह से UCC को अनदेखा किया गया। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी इस मुद्दे को अपनी ताकत के रूप में इस्तेमाल करने जा रही है।
दिल्ली में इसका प्रभाव: सवाल खड़ा होना लाजमी है
हालांकि, बीजेपी के लिए यह कदम फायदेमंद हो सकता है, लेकिन दिल्ली के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में इसके परिणाम उतने साफ नहीं हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार है, जिसे जनता के बीच लगातार लोकप्रियता मिल रही है, खासकर उनके शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधारों के कारण। दिल्ली के मतदाताओं में एक बड़ी संख्या ऐसे हैं, जो अपनी रोज़मर्रा की समस्याओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाएं, और उन्हें UCC जैसे राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।
इसके अलावा, बीजेपी के लिए दिल्ली में एंटी-इ incumbency लहर भी महत्वपूर्ण है, जो AAP की सरकार के खिलाफ गुस्से को उजागर कर सकती है। हालांकि, UCC का मुद्दा इस लहर को बीजेपी के पक्ष में बदलने के लिए एक टूल के रूप में काम कर सकता है, लेकिन क्या यह पर्याप्त होगा, यह देखना बाकी है।
क्या UCC का मुद्दा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा?
अमित शाह का UCC पर बयान कांग्रेस को भी निशाने पर लेता है, लेकिन इसके साथ ही यह अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी एक प्रत्यक्ष हमला हो सकता है। दिल्ली के मतदाता अगर AAP से नाराज होकर कांग्रेस की ओर रुख करते हैं, जैसा कि पंजाब में 2022 में हुआ था, तो बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि, दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति पहले जैसी मजबूत नहीं है, और यह संभावित रूप से बीजेपी को ज्यादा फायदा नहीं देगी।
क्या दिल्ली के मतदाता UCC के नाम पर वोट करेंगे?
दिल्ली के चुनावी परिप्रेक्ष्य में यह महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या UCC जैसे मुद्दे दिल्ली के मतदाताओं के बीच ज्यादा प्रभाव डालेंगे। दिल्ली के लोग आमतौर पर ज्यादा स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और यह देखना होगा कि बीजेपी की इस रणनीति का क्या असर पड़ेगा। बीजेपी को यह उम्मीद हो सकती है कि वे UCC के जरिए हिंदू मतदाताओं का समर्थन जुटा सकें, लेकिन दिल्ली के शहरी मतदाता इस मुद्दे को ज्यादा प्राथमिकता देंगे, यह कहना मुश्किल है।
अमित शाह का UCC लागू करने का ऐलान बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जो हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। हालांकि, दिल्ली के चुनावी परिप्रेक्ष्य में यह कदम बीजेपी के लिए कितना लाभकारी होगा, यह एक बड़ा सवाल है। दिल्ली के मतदाता अगर अपनी रोज़मर्रा की समस्याओं को प्राथमिकता देते हैं, तो UCC जैसे बड़े मुद्दे का प्रभाव कम हो सकता है। फिर भी, बीजेपी को उम्मीद है कि यह कदम उन्हें हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने में मदद करेगा, जो चुनावी परिणामों पर निर्णायक असर डाल सकता है।