
Delhi News: दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में फिर से वही पुरानी राजनीति देखने को मिली, जो अक्सर आम आदमी पार्टी (AAP) और उससे जुड़े विचारधाराओं वाले संगठनों के इर्द-गिर्द घूमती है। 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद, अब 2024 में, छात्रों ने एक बार फिर “दिल्ली पुलिस वापस जाओ” जैसे नारे लगाकर अपना विरोध जाहिर किया। लेकिन इस बार का प्रदर्शन महज एक संयोग है, या इसके पीछे भी AAP का छिपा हुआ राजनीतिक एजेंडा है?
AAP और वामपंथी संगठनों का गठजोड़
इस प्रदर्शन में लेफ्ट-आइडियोलॉजी वाले छात्र संगठन AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) सबसे आगे थे। यह संगठन पहले से ही AAP की राजनीतिक छत्रछाया में काम करता रहा है। AAP ने अपने शुरुआती दिनों में खुद को आम जनता की पार्टी के रूप में पेश किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद यह पार्टी उन संगठनों का सहारा लेती दिख रही है, जो छात्रों को गुमराह कर सड़कों पर उतारते हैं।
CAA विरोध का पुराना विवाद
2019 के CAA विरोध प्रदर्शन में, जामिया के छात्रों और बाहरी तत्वों ने मिलकर हिंसक प्रदर्शन किया था। इस दौरान दिल्ली पुलिस पर झूठे आरोप लगाकर उसे बदनाम करने की कोशिश की गई। अब 2024 में, उसी घटना की स्मृति के नाम पर छात्रों को भड़काना, AAP समर्थित संगठनों की एक और चाल है। यह सवाल उठता है कि क्या ये प्रदर्शन छात्रों की आवाज है, या किसी राजनीतिक दल का मंच तैयार करने की कोशिश?
विश्वविद्यालय प्रशासन को बनाया निशाना
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों की योजना को विफल करने के लिए कक्षाएं और कैंटीन बंद करने का निर्णय लिया। इसके बावजूद, छात्रों ने प्रशासन को निशाना बनाकर नारेबाजी की। इस पर विचार करें: जब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए कदम उठाए, तो छात्रों का रोष प्रशासन के खिलाफ क्यों था? इसका जवाब साफ है—AAP से जुड़े संगठनों का उद्देश्य छात्रों को भड़काकर राजनीतिक माहौल बनाना है।
दिल्ली पुलिस पर झूठे आरोप
प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने दिल्ली पुलिस पर आतंकवादियों जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया। लेकिन यह आरोप कितना जायज़ है? 2019 के CAA विरोध के दौरान, पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो कार्रवाई की, उसे गलत तरीके से प्रचारित किया गया। और अब, बिना किसी ठोस आधार के, पुलिस को फिर से बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
AAP की राजनीति: छात्रों का इस्तेमाल?
यह पहली बार नहीं है जब AAP या उससे जुड़े संगठनों ने छात्रों का उपयोग अपने राजनीतिक हित साधने के लिए किया हो। प्रदर्शन के बहाने, AAP समर्थक संगठन एक बार फिर केंद्र सरकार और पुलिस को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली के असली मुद्दों, जैसे बिजली, पानी और शिक्षा पर ध्यान देने के बजाय, इस तरह के प्रायोजित प्रदर्शनों का सहारा ले रही है।
निष्कर्ष: गुमराह छात्र, जिम्मेदार कौन?
जामिया के छात्रों को अपने भविष्य और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि AAP और वामपंथी संगठनों की राजनीति का हिस्सा बनना चाहिए। यह समय है कि छात्र समझें कि उनकी ऊर्जा का इस्तेमाल केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। प्रदर्शन के नाम पर दिल्ली पुलिस और प्रशासन को बदनाम करने की यह कवायद सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है, जिसका नुकसान अंततः छात्रों को ही होगा।