
भारत के परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व प्रमुख डॉ. आर चिदंबरम का शनिवार सुबह मुंबई के जसलोक अस्पताल में निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे। डॉ. चिदंबरम का निधन भारतीय विज्ञान और परमाणु क्षेत्र में एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
डॉ. आर चिदंबरम का योगदान भारत के परमाणु कार्यक्रम में अभूतपूर्व था। उन्होंने 1974 और 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका कार्य भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में निर्णायक था और उन्होंने देश के परमाणु सुरक्षा और शक्ति को मजबूत किया। इसके अलावा, वह अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते को अंतिम रूप देने में भी शामिल थे, जिसने भारत के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समुदाय में एक नया स्थान स्थापित किया।
पद्म श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित
डॉ. चिदंबरम का जन्म चेन्नई में हुआ था। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से पीएचडी की और 1962 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में अपने करियर की शुरुआत की। 1974 के परमाणु परीक्षणों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए उन्हें 1975 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, 1999 में उन्हें पद्म विभूषण से भी नवाजा गया।
निधन पर शोक
डॉ. चिदंबरम का निधन भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी उपलब्धियों ने न केवल भारत को एक परमाणु शक्ति बना दिया, बल्कि उन्होंने देश को वैश्विक परमाणु समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
डॉ. आर चिदंबरम का निधन परमाणु ऊर्जा विभाग, वैज्ञानिक समुदाय और उनके प्रशंसकों के लिए गहरा दुख का विषय है। उनके द्वारा किए गए कार्यों और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।