
भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री, लाल कृष्ण आडवाणी, की शनिवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें तुरंत दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। खबरों के अनुसार, आडवाणी की तबीयत पिछले कुछ हफ्तों से नाजुक बनी हुई थी और इस दौरान डॉक्टरों की टीम उनकी सेहत पर लगातार निगरानी रख रही थी।
स्वास्थ्य में गिरावट के बाद भर्ती
इससे पहले भी, आडवाणी को जुलाई और जून में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। जुलाई में उन्हें अपोलो अस्पताल में इलाज के बाद डिस्चार्ज किया गया था, जबकि जून में उन्हें एम्स में एक दिन के लिए भर्ती किया गया था।
लंबी राजनीतिक यात्रा और ऐतिहासिक योगदान
लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (अब पाकिस्तान) में हुआ। 1942 में, आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। भारतीय राजनीति में उनका योगदान अद्वितीय रहा। वे भारतीय जनता पार्टी के सबसे लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। आडवाणी का राजनीतिक जीवन कई ऐतिहासिक घटनाओं और आंदोलनों से जुड़ा रहा, जिनमें राम जन्मभूमि आंदोलन और भा.ज.पा. का वैचारिक विस्तार शामिल है।
आंदोलनों में अहम भूमिका
आडवाणी की सबसे बड़ी पहचान उन आंदोलनों में उनके योगदान के कारण बनी, जिन्होंने भाजपा को एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित किया। उनके नेतृत्व में भाजपा ने देशभर में मजबूत पैठ बनाई और आडवाणी ने पार्टी के विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा चुके हैं।
चिंता का माहौल
आडवाणी की तबीयत बिगड़ने की खबर से उनके समर्थकों और शुभचिंतकों में चिंता की लहर दौड़ गई है। भाजपा कार्यकर्ता और नेता उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। आडवाणी के राजनीतिक योगदान को देखते हुए, उनके स्वास्थ्य को लेकर हर कोई चिंतित है और उम्मीद कर रहा है कि वे जल्दी ठीक होकर वापस सक्रिय हो सकें।