
अरविंद केजरीवाल कभी RTI एक्टिविस्ट थे, उसी से मशहूर हुए, 2006 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार जीता, फिर आम आदमी पार्टी बनाई और दिल्ली के CM बने। अब दिल्ली के साथ पंजाब में भी उनकी पार्टी की सरकार है। RTI एक्टिविस्ट आरोप लगा रहे हैं कि पंजाब सरकार इस कानूनदिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है, लेकिन वहां सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन काम करता है।
RTI से केजरीवाल का सफर
अरविंद केजरीवाल ने RTI एक्टिविस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाई।
- 2006 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार जीता।
- RTI के जरिए भ्रष्टाचार उजागर कर आम आदमी पार्टी (AAP) बनाई।
- दिल्ली के मुख्यमंत्री बनकर RTI को एक बड़ा हथियार बताया।
पंजाब में RTI पर सवाल
पंजाब में AAP सरकार पर RTI एक्ट की अनदेखी के गंभीर आरोप लगे हैं।
- जवाब की जगह टालमटोल: RTI कार्यकर्ताओं का दावा है कि सरकार से मांगी गई जानकारी पर जवाब नहीं दिया जा रहा।
- मामले जिला स्तर पर भेजे जा रहे: एक RTI में हथियारों की नीलामी और बरामदगी की जानकारी मांगी गई, लेकिन सरकार ने इसे 23 जिलों के स्तर पर टाल दिया।
RTI सिस्टम में गिरावट
- सरकारी बसें पार्टी के काम में लगीं: 12 मार्च को पूरे पंजाब में सरकारी बसें पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए इस्तेमाल की गईं।
- आम जनता को नुकसान: बसें आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं थीं, जिससे करोड़ों का सरकारी खर्चा हुआ।
- सूचना आयोग का खालीपन: कई पद खाली हैं, जिससे RTI मामलों का निपटारा धीमा हो गया है।
गुजरात दौरे पर सवाल
1-3 अप्रैल 2022 को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल गुजरात चुनाव प्रचार में व्यस्त थे।
- RTI से जुड़े सवालों पर जवाब देने की बजाय ध्यान प्रचार में रहा।
दिल्ली बनाम पंजाब में RTI
- दिल्ली में RTI के अनुपालन की जिम्मेदारी सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन की है।
- लेकिन पंजाब में RTI का पालन कराना पूरी तरह AAP सरकार की जिम्मेदारी है।
RTI कार्यकर्ताओं का आरोप
RTI कार्यकर्ता आरोप लगा रहे हैं कि सरकार उन सूचनाओं को दबा रही है, जिनसे सरकार की छवि पर सवाल उठ सकते हैं।
- जवाब न देकर मामलों को लंबा खींचा जा रहा है।
- RTI प्रणाली को कमजोर किया जा रहा है।
RTI जिसने AAP को ताकत दी, वही आज उनके लिए चुनौती बन गई है। अगर पंजाब में RTI सिस्टम को ठीक नहीं किया गया, तो यह पार्टी की पारदर्शिता और भरोसे पर बड़ा सवाल खड़ा करेगा।