
वाराणसी: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद मनोज तिवारी ने बुधवार को वाराणसी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि संजय सिंह की भाषा “निम्न कोटि” की है और उनका पूरा भूतकाल विवादों से भरा हुआ है। तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के नेता अपनी भ्रष्टाचार और चोरी की वजह से अब तक कई कानूनी मुद्दों से जूझ रहे हैं, और संजय सिंह की नकारात्मक भाषा इस बात का प्रमाण है कि वह अपनी गलतियों को छुपाने के लिए ऐसा व्यवहार कर रहे हैं।
मनोज तिवारी ने कहा कि जब कोई अपराधी पकड़ा जाता है तो उसका “बिलबिलाना” और उसकी भाषा से उसकी स्थिति जाहिर होती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संजय सिंह और उनके साथियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं, और ये लोग जेल से बेल पर बाहर हैं। “ऐसे लोगों को न केवल कानून, बल्कि जनता भी सजा देगी,” तिवारी ने कहा।
AAP के नेताओं पर गंभीर आरोप
मनोज तिवारी ने आगे आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं को कोर्ट ने सस्पेंड कर दिया है, और इस वजह से अरविंद केजरीवाल अभी भी मुख्यमंत्री नहीं बन पाए हैं, भले ही उनके पास बहुमत हो। यह टिप्पणी सीधे तौर पर पार्टी के भीतर के विवादों और कानूनी संकटों की ओर इशारा करती है। तिवारी ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता राजनीति में केवल लूटपाट के लिए आए हैं और उनका उद्देश्य सिर्फ जनता को ठगने का है।
संजय सिंह पर मानहानि का केस
तिवारी ने संजय सिंह के खिलाफ 100 करोड़ रुपये के मानहानि मुकदमे का भी उल्लेख किया और उन्हें एक “बड़े अपराधी” के रूप में पेश किया। उनके अनुसार, ये लोग केवल अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए राजनीति में आए हैं और जनता को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।
धर्म और आरक्षण के मुद्दे पर तिवारी की प्रतिक्रिया
तिवारी ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर यह आरोप भी लगाया कि वे देश को हिंदू-मुसलिम में बांटने की कोशिश कर रहे हैं और धर्म के आधार पर आरक्षण की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह साजिश समाज को भ्रमित करने और समाज के विभिन्न वर्गों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के लिए की जा रही है। उनका कहना था कि हर विवाद का हल संविधान के तहत होना चाहिए, और वे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान को बदलने नहीं देंगे।
मनोज तिवारी का यह बयान आम आदमी पार्टी की बढ़ती आलोचनाओं और कानूनी संकटों के बीच आया है, जो इस समय दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले राजनीति के गलियारे में चर्चा का प्रमुख विषय बन चुका है।