
केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय रेल के समूचे रेल नेटवर्क पर 5जी तकनीक का टक्कररोधी तकनीक कवच लगाया जाएगा. इसके तहत वर्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकता रेलमार्ग पर लगाए जा रहे कवच को अपग्रेड करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
सरकार का दावा है कि भविष्य में ट्रेनों की आमने-सामने व पीछे से होने वाली टक्कर को रोकने वाली इस तकनीक कवच को विदेशों में निर्यात करने की स्थिति में होंगे. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया कि कवच अब संचार की एलटीई (4जी और 5जी) आधारित किया जाएगा. आने वाले समय में पूरे रेल नेटवर्क को कवच युक्त कर दिया जाएगा.
रेल मंत्रर ने दावा किया कि आधुनिक संचार तकनीक वाला कवच विश्व में रेलवे सुरक्षा के लिए मानक समझी जाने वाली यूरोपीय तकनीक ईटीसीएस से कहीं अधिक सक्षम और उसके ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के बाजार में चुनौती साबित होगी. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के कार्यकाल में कुछ इंजनों में एसीडी की तकनीक प्रायोगिक तौर पर लगाई गई थी और उनके बाद रेल मंत्री बने उनकी पार्टी के दिनेश त्रिवेदी के कार्यकाल में एसीडी के परीक्षण के बाद उसे विफल घोषित किया गया. वर्ष 2016 में लखनऊ के आरडीएसओ द्वारा विकसित ट्रेन सुरक्षा तकनीक कवच को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान की. 2019 तक देशभर में लगाने का फैसला किया गया. वर्ष 2020 में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया. 12 साल पूरा नेटवर्क कवर हो जाएगा.
दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकता (3000 किमी) के 500 किलोमीटर खंड पर कवच लगाने का काम पूरा हो गया है. इस खंड के लिए सेफ्टी इंटीग्रेशन लेवल 4 का प्रमाणन हासिल करने की प्रक्रिया जारी है.






