
प्रिय पाठकों आज पूरे विश्व में अग्रवाल समाज ने अपने जनसेवा की कार्यों से अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित की है तथा आज पूरे विश्व में अग्रवाल समुदाय आज भी सेवा कार्यों में जुटा हुआ है। आज मैं डॉ मनोज अग्रवाल बेहद हर्ष महसूस कर रहा हूँ कि, हम उनका उल्लेख करने जा रहे है, जिन्होनें समाज के उधार और उनती के लिए क्षत्रिय वर्ण छोड़कर वैश्य धर्म अपनाया था। राम के पुत्र कुश की 34वीं पीढ़ी संतान महाराजा अग्रसेन की।
साथियों मानव जीवन पांच तत्वों का पुतला है। उसका नाम मनुष्य है। लेकिन जीवन जीने की कला के अभाव में उसका जीवन व्यर्थ हो गया है। इंसान में मानवता का गुण नहीं है तो उसे जीवन जीने की कला का ज्ञान भी नहीं हो सकता। आज की सदी में जीवन का उद्देश्य भावनाओं से जुड़ा है। यदि हम और आप एक दूसरे के प्रति प्रेम, उदारता, सहयोग की भावना नहीं है तो वह मानव जीवन के समान नहीं है, जो अपने कार्यो से दूसरों को कष्ट पहुंचाता है।
प्रियजनों भौतिक वस्तुओं को पाने के लिए इंसान अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं, लेकिन जब वे इस दुनिया से विदा होता हैं तो वे अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा पाता। उनकी सारी कमाई यहीं रह जाती है। अगर वे कोई चीज अपने साथ ले जाते हैं तो वह है उनके अच्छे कर्म और लोगों की दुआएं होती है। हमारे शास्त्रों और ग्रंथो में धर्म के अनेक लक्षण बताये गए हैं उन्ही में से एक लक्षण है मानवता यानि मानव मात्र के कल्याण के लिये किया गया कार्य।
बीतते समय के साथ मनुष्य के विकास का सामाजिक दायरा बढ़ा, सोच बढ़ी, जिसके साथ-साथ नैतिकता बढ़ी। आज पारिवारिक मूल्यों की बात हो, पर्वजोक दीज निवाली आदर सम्मान की बात हो तो सर्वप्रथम हमारा अग्रवाल समाज आता है। जिसके लिए मानवता की सेवा करना और समाज को आगे ले जाना कर्तव्य के रूप में देखा जाता है।
मौजूदा समय में कुछ लोग या समाज ऐसे होते हैं जो अपने अतीत के गौरव को गाकर अपना गुनआन करते रहते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जो अपने वर्तमान पर जिंदा रहते हैं। किंतु हमारा अग्रवाल समुदाय देश का ऐसा समाज है जिसका अतीत भी गौरवशाली रहा है और वर्तमान भी देश में अपना एक विशेष स्थान बनाये हुए है। यह सब हमारे आराध्य महाराजा अग्रसेन की शिक्षाओं व उनके आशीर्वाद का ही परिणाम है कि आज देश में अग्रवाल समाज का विशेष स्थान है।
इस समाज के प्रवर्तक अग्रोहा राज्य से संस्थापक महाराजा अग्रसेन हुए, जिन्होंने एक मुद्रा-एक ईंट जैसी आदर्श पद्धति का प्रचलन कर समाजवाद का सही रूप और गरीबी हटाओं का नारा सार्थक कर दिखाया था। उनका राज्य सच्चे अर्थों में समाजवाद,आधुनिक युग में सहकारिता, सर्वोदय, अर्थदान, भू-दान व सम्पत्ति दान इत्यादि लोकतंत्र, निर्धनता उन्मूलन जैसी प्रवृत्तियों का साकार प्रतीक था। उन्होंने 18 गणों की सम्पति से राज्य चला कर एकतंत्र में लोकतंत्र की नींव रखी। आज हम जिन स्वतंत्रता, समानता, भाईचारे, परस्पर सहयोग, स्वावलम्बन, स्वदेशी की भावना, सर्वधर्म समभाव, परिश्रम, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा आदि आदर्शों की बात करते हैं, वे सब महाराजा अग्रसेन के राज्य में 5100 वर्ष पूर्व विद्यमान थे।
बंधुओ महाराजा अग्रसेन के चार गुण सत्य, अहिंसा, समानता एवं अपनत्व तथा चार सिद्धांत-दुष्टों का दमन, साधुओं का संरक्षण, गरीबी का तर्पण व शोषकों का क्षरण को अग्रवाल समाज ने आज भी अपना रखा है और इसी कारण यह समाज देश में अग्रणी बना हुआ है।