
सेना ने हवा में रिचार्ज होने वाले 363 लॉजिस्टिक ड्रोन खरीदने का फैसला किया है. इनमें 263 भारी ड्रोन हैं, जिनका वजन 60-100 किलोग्राम के बीच होगा. ये ड्रोन भारतीय निर्माताओं से खरीदे जाएंगे. इनकी मदद से ऊंचे और दुर्गम इलाकों में समान पहुंचाने का काम किया जाएगा. पहले यह काम घोड़ों, खच्चरों से किया जाता था.
सेना के अनुसार, इनमें 163 भारी ड्रोन चार हजार मीटर तक की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेंगे. इनका कुल वजन सौ किलोग्राम तक होगा जबकि 100 ड्रोन भारी और 100 अन्य ड्रोन हल्की श्रेणी में खरीदे जाएंगे, जो 2000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकेंगे.
सेना की तरफ से मांगे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत में निर्मित श्रेणी में इनकी खरीद की जाएगी और इनमें 50 फीसदी कलपुर्जे स्वदेशी होने आवश्यक हैं. ड्रोन 30 मिनट तक और कम से कम 10 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम होने चाहिए. ये दो क्रू संचालित होंगे और इन्हें पांच किमी. के बाद हवा में रिफ्यूल, रिचार्ज किया जा सकेगा या इनकी बैटरी बदली जा सकेगी.
ड्रोन डे-नाइट कैमरा और मैप सिस्टम से भी लैस होंगे. सेना की तरफ से ड्रोन के निर्माण से लेकर वारंटी, डिलीवरी आदि को लेकर प्रस्ताव जारी किया गया और इच्छुक कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं.
कम्पनी को देना होगा जवानों को प्रक्षिशण
सेना के अनुसार ड्रोन बनाने वाली कम्पनी को सेना के जवानो को बैच में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर प्रशिक्षण प्रदान करना होगा. साथ ही ड्रोन के ट्रायल भी सेना द्वारा किए जाएंगे. आपूर्ति को लेकर भी एक तय कार्यक्रम और समय सीमा रखी गई है
घोड़े-खच्चर पड़ रहे महंगे
सेना में सामान के परिवहन का कार्य दुर्गम इला़कों में जहां सड़क नहीं है, वहां घोड़ों ऊटों एवं खच्चरों द्वारा किया जाता है लेकिन वह बेहद महंगा पड़ रहा है. इसलिए अब पशु यूनिटों के आकार को छोटा किया जा रहा है और ड्रोन को विकल्प बनाया जा रहा है
सेना ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि ड्रोन की सेल्फ लाइफ सात साल या एक हजार लैंडिंग होनी चाहिए