
लगभग डेढ़ दशक बाद अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (Nasa) फिर से चन्द्रमा (Moon) में मानव भेजने की तैयारी कर रहा है. इस पूरे अभियान को 3 भागों में बांटा गया है आर्टेमिस-1, आर्टेमिस,-2 और आर्टेमिस-3. आर्टेमिस-1 की सफलता के बाद 3 साल बाद चांद की धरती पर फिर से मानव के कदम पड़ेंगे. इसी अभियान के पहले चरण के तहत फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से 16 नवंबर को 1:47 am EST (भारतीय समय अनुसार दोपहर 12.17 बजे) आर्टिमिस-1 ने उड़ान भरी.

नासा के आर्टेमिस-1 मून मिशन की लॉन्चिंग को 10 मिनट के लिए रोकना पड़ा. लॉन्चिंग से ठीक पहले फिर से कुछ तकनीकी खामियां आ गईथीं, जिसे वैज्ञानिकों दूर कर दिया. आर्टिमिस अपने साथ ओरियन स्पेसशिप ले जा रहा है. ओरियन स्पेसशिप दुनिया के सबसे ने ताकतवर और बड़े रॉकेट के ऊपरी हिस्से में रहेगा. यह स्पेसक्राफ्ट इंसानों की स्पेस यात्रा के लिए बनाया गया है. यह वह दूरी तय कर सकता है, जो आज तक किसी स्पेसशिप ने नहीं की है. ओरियन स्पेसशिप सबसे पहले धरती से चंद्रमा तक 4.50 लाख KM की यात्रा करेगा. उसके बाद चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से की तरफ 64 हजार KM दूर जाएगा. ओरियन स्पेसशिप बिना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़े इतनी लंबी यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान होगा.

अर्टेमिस-1 मिशन के दौरान ओरियन और SLS रॉकेट चंद्रमा तक जाकर धरती पर वापस आएगा. इस दौरान दोनों ही अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे. यह भविष्य में होने वाले मून मिशन से पहले का लिटमस टेस्ट है. अगर यह सफल होता है तो साल 2025 तक अर्टेमिस मिशन की तरह पहली बार चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट को भेजा जाएगा. अर्टेमिस-1 मिशन के बाद ही नासा वैज्ञानिक चंद्रमा तक जाने के लिए अन्य जरूरी तकनीकों को डेवलप करेंगे. ताकि चंद्रमा से आगे मंगल तक की यात्रा भी हो सके.

NASA के केनेडी स्पेस स्टेशन पर SLS रॉकेट और ओरियन को लॉन्च पैड 39बी से छोड़ा जाएगा. यह लॉन्च पैड अत्याधुनिक है. इस रॉकेट को पांच सेगमेंट वाले बूस्टर्स से लॉन्च किया जाएगा, जिनमें से चार में RS-25 इंजन लगे हैं. ये इंजन बेहद आधुनिक और ताकतवर हैं. ये 90 सेकेंड में वायुमंडल के ऊपर पहुंच जाएंगे. सॉलिड बूस्टर्स दो मिनट से पहले ही अलग हो जाएंगे. इसके बाद RS-25 इंजन करीब 8 मिनट बाद अलग होगा. फिर सर्विस मॉड्यूल और स्पेसशिप को उसके बूस्टर्स अंतरिक्ष में आगे की यात्रा के लिए एक जरूरी गति देकर छोड़ देंगे.
मिशन का समय: 42 दिन, 3 घंटे और 20 मिनट.
गंतव्य: चंद्रमा के बाहर की रेट्रोग्रेड कक्षा.
कितने किलोमीटर यात्रा: 21 लाख किलोमीटर.
वापस लैंडिंग की जगहः सैन डिएगो के आसपास प्रशांत महासागर में.
लौटते समय ओरियन की गति: 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा.
ओरियन चंद्रमा के सबसे नजदीक 97 KM और सबसे दूर 64 हजार KM की यात्रा करेगा. चंद्रमा पर यह अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. पहली बार इंसानों द्वारा इंसानों के लिए बनाया गया कोई स्पेसशिप अंतरिक्ष में इतनी दूर जाएगा. ओरियन चंद्रमा का दूसरा चक्कर लगाने के बाद अपने इंजन को ऑन करेगा. उसकी ग्रैविटी से बाहर निकल कर धरती की तरफ यात्रा करेगा.

ओरियन के धरती पर लौटते ही मिशन खत्म हो जाएगा. धरती पर लौटने से पहले उसकी गति 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. वायुमंडल में आते ही गति 480 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी. उस समय इसे करीब 2800 डिग्री सेल्सियस का तापमान बर्दाश्त करना होगा. यहां पर उसके हीटशील्ड की जांच होगी. समुद्र से 25 हजार फीट ऊपर स्पेसक्राफ्ट के दो पैराशूट खुलेंगे. तब इसकी स्पीड कम होकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी. इसके थोड़ी देर बाद इसके मुख्य तीन पैराशूट खुल जाएंगे. फिर इसकी गति 32 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी. तब यह सैन डिएगो के पास प्रशांत महासागर में लैंड करेगा.
लैंडिंग के बाद कैसे होगी रिकवरी
NASA के एक्सप्लोरेशन ग्राउंड सिस्टम की लैंडिंग और रिकवरी टीम प्रशांत महासागर में पहले से तैनात रहेगी. वह ओरियन की लैंडिंग के बाद उसे उठाकर नौसेना के एंफिबियस पोत पर रखेगी. नौसेना के गोताखोर और अन्य इंजीनियर स्पेसक्राफ्ट को बांधकर पोत पर रखेंगे. उसे वापस लेकर केनेडी स्पेस स्टेशन तक जाएंगे. फिर स्पेसशिप की कायदे से जांच-पड़ताल होगी.