
Atul Subhash Case: एआई सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष आत्महत्या केस में 30 दिसंबर को बेंगलुरु की सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान तीनों आरोपी—निकिता सिंघानिया, निशा, और अनुराग को पेश किया गया। सुनवाई का मुख्य मुद्दा आरोपियों की बेल याचिका था।
Atul Subhash Case: कोर्ट की कार्यवाही
निकिता के वकील ने दलील दी कि निकिता को अपने बेटे व्योम की देखभाल के लिए बेल मिलनी चाहिए, क्योंकि बच्चा अभी छोटा है। वहीं, अतुल सुभाष के परिवार के वकील आकाश ने इसका विरोध करते हुए कहा कि निकिता पहले भी बेटे का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करती रही है, जैसा कि अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था। उन्होंने बच्चे की कस्टडी अतुल के माता-पिता को देने की मांग की।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बेल पर फैसला 4 जनवरी तक टाल दिया।
दोनों पक्षों के बयान
निकिता के वकील: उन्होंने कहा कि बेटे की देखभाल के लिए निकिता को बेल मिलनी चाहिए।
अतुल के परिवार के वकील: उन्होंने कहा कि बेल मिलने पर निकिता फिर से गायब हो सकती है। बच्चे की कस्टडी अतुल के माता-पिता को दी जानी चाहिए।
बच्चे की कस्टडी पर मामला
अतुल की मां ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में बच्चे की कस्टडी के लिए याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक, यूपी और बिहार पुलिस को मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जिस पर 7 जनवरी को सुनवाई होगी।
क्या है अतुल सुभाष केस? Atul Subhash Case
बिहार के समस्तीपुर निवासी अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को बेंगलुरु स्थित अपने फ्लैट में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले उन्होंने 24 पन्नों का सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे का वीडियो बनाया था, जिसमें अपनी पत्नी निकिता और ससुराल पक्ष पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया।
10 दिसंबर को उनके भाई की शिकायत पर निकिता सहित 4 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। निकिता, निशा और अनुराग फिलहाल जेल में हैं, जबकि आरोपी चाचा ससुर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है।