
अयोध्या . रामजन्मभूमि पर भव्य एवं दिव्य मंदिर आकार ले रहा है. मंदिर में रामलला के विराजमान होने के साथ अयोध्या अपनी विविधता के लिए पहचानी जाए, इस दिशा में प्रयास शुरू हो चुका है. इन्हीं में शामिल है रामजन्मभूमि तक पहुंचने वाले चार प्रमुख दर्शन मार्ग. यह मार्ग आकर्षक होने के साथ श्रद्धालुओं के लिए प्राकृतिक रूप से छायादार हो, इस पर मंथन चल रहा है.
वन विभाग का मानना है कि अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालु चारों प्रमुख दर्शन मार्गों को फूलों के रंग से भी पहचाने. इन मार्गों के दोनों तरफ ऐसे बेहतरीन पौधे लगाए जाएं, जो भविष्य में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनें और श्रद्धालु इन वृक्षों की छांव में कुछ पल के लिए अपनी थकान भी दूर कर सकें. इनमें लगने वाले फूल नीले, पीले, बैगनी, लाल और फिरोजी और भगवा रंग के हों.
इस योजना पर गहनता से विचार करने के साथ ही वरिष्ठ अधिकारियों से निरंतर सलाह ली जा रही है. दर्शन के प्रमुख मार्ग रामपथ, जन्मभूमिपथ, भक्तिपथ और धर्मपथ हैं. इनमें सबसे लंबा पथ रामपथ है जो लगभग 13 किलोमीटर का है और निर्माणाधीन है.
वहीं जन्मभूमिपथ, भक्तिपथ और धर्मपथ भी अभी पूर्ण रूप से तैयार नहीं हो सके हैं. विभाग का मानना है कि इन पथों पर अलग-अलग प्रजातियों के पौधों का रोपण कर एक शृंखला तैयार की जाए. जब यह पौधे बड़े होंगे तो इनमें निकलने वाले फूल बेहद आकर्षक होंगे. दूर से देखने में ऐसा लगेगा मानों किसी फूलों के बगीचे में आ गये हों. विभाग ने इन पथों पर रोपण के लिए कुछ प्रजातियों का चयन किया गया है, जिनमें अमलतास, कचनार, कदंब, जैकेरेंडा बैंगनी एवं पीला, गुलमोहर, टिकोमा, हरश्रृंगार, टैबेबुइया रोजिया, पलास, सीता अशोक शामिल हैं.