
नई दिल्ली . भारत से बड़े पैमाने पर छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेशों का रुख करते हैं लेकिन विभिन्न कारणों से छात्रों को विदेशों में जान गंवानी पड़ रही है. विदेश मंत्रालय ऐसी घटनाओं को लेकर सतर्क है और जिन भी मामलों में मदद की दरकार होती है तत्काल हस्तक्षेप कर रहा है.
मंत्रालय के अनुसार 2018 से लेकर अब तक 34 देशों में 403 भारतीय छात्रों की मौत हुई. इसमें हादसे, चिकित्सकीय कारण और हमले के कारण होने वाली मौतें भी शामिल हैं. हाल में संसद में विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि विदेशों में स्थित दूतावासों को ऐसे मामलों में तुरंत कदम उठाने को कहा गया है. दूतावास में तैनात कार्मिक छात्रों, छात्र एसोसिएशनों तथा विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के संपर्क में रहते हैं. दूतावासों में छात्रों को पंजीकृत भी किया जाता है. जब कभी भी किसी भारतीय छात्र के मुश्किल में फंसे होने की जानकारी मिलती है तुरंत उसे मदद पहुंचाई जाती है.
कनाडा में सबसे अधिक मौतें विदेश मंत्रालय के अनुसार 2018 के बाद अब तक कुल 403 छात्रों की विभिन्न कारणों से मौत हुई है. इनमें सबसे ज्यादा 91 छात्रों की मौत कनाडा में हुई. सबसे ज्यादा छात्र भी पढ़ने वही जा रहे हैं. ब्रिटेन में 48, रूस में 40, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 छात्रों की मौत हुई.
फर्जी रोजगार प्रस्तावों के झांसे में न आएं मंत्रालय
विदेश में रोजगार की तलाश कर रहे भारतीयों को सतर्क रहना चाहिए और नौकरी के फर्जी प्रस्तावों के झांसे में नहीं आना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को लोगों से यह अपील की. मंत्रालय ने एक परामर्श जारी कर कहा कि एक वैध नौकरी के प्रस्ताव में विदेशी नियोक्ता, भर्ती एजेंट और प्रवासी श्रमिक द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित रोजगार अनुबंध शामिल होता है.
एजेंट कर रहे दो से पांच लाख रुपयों की वसूली
विदेश मंत्रालय ने कहा कि देखा गया है कि विदेश में नौकरी चाहने वालों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिन्हें अपंजीकृत भर्ती एजेंट द्वारा फर्जी नौकरी की पेशकश के जरिए ठगा जाता है और साथ ही उनसे दो से पांच लाख रुपये तक की वसूली भी की जाती है.