
केंद्र सरकार ने फार्मास्युटिकल क्षेत्र और मेडिकल टेक्नोलॉजी से जुड़े शोध को बढ़ावा देने वाली राष्ट्रीय नीति का ऐलान किया है.
इसके तहत सरकार शोध से जुड़े संस्थानों को आर्थिक सहायता भी प्रदान करेगी. केद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि भारत में देश के महत्व वाले शोधों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाया गया है.
मंडाविया ने कहा कि देश में तमाम ऐसी बीमारियां होती हैं जो दुनिया के दूसरे देशों में नहीं होती, ऐसे में हमारे पास ऐसे शोध उपलब्ध होने चाहिए जिनसे न केवल बीमारी बल्कि उसके इलाज से जुड़ी दवाओं का भी भंडार रहे. इस काम में शोध का बहुत महत्व रहने वाला है.
सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ये नीति 10 साल की रहने वाली है. उन्होंने कहा कि इसके क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए बाकायदा टास्कफोर्स बनाई जाएगी. टास्कफोर्स की अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री करेंगे और इसमें सभी संबंधित मंत्रालय के सचिव भी शामिल रहेंगे.
नीति का औपचारिक ऐलान जल्द दो से तीन हफ्ते के भीतर इस नीति का औपचारिक ऐलान कर दिया जाएगा. उसके बाद आर्थिक सहायता के लिए एप्लीकेशन मांगे जाएंगे. पात्र कंपनियों को ये आर्थिक मदद दी जाएगी. इसके अलावा सरकार की ओर से ये भी ऐलान किया गया कि शोध से जुड़ी एक अलग से रजिस्ट्री बनाई जाएगी. ताकि अलग-अलग क्षेत्रों में होने वाले शोध एक जगह दर्ज हो सके और सभी हितधारकों को इसकी जानकारी मुहैया होती रहे.
योजना पर 5 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे
मंडाविया ने कहा कि शोध को बढ़ावा देने वाली इस योजना में 2023-24 से 2027-28 तक 5 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान है. सरकार के मुताबिक योजना के तहत मिलने वाली रकम की तीन कैटेगरी होंगी. पहली बी-1 कैटेगरी के तहत 9 स्थापित फार्मा कंपनियों के साथ मिलकर सरकारी संस्थानों के साथ प्रमुख क्षेत्रों में शोध को बढ़ावा दिया जाएगा.