
केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग नहीं किया जाए. साथ ही उन्हें जेल की रसोई का काम संभालने जैसे कार्य देने में भी इस आधार पर भेदभाव बंद करें.
गृह मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि कुछ राज्यों के जेल मैनुअल में कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग रखने का उल्लेख है और उन्हें जेल में उसी आधार पर काम सौंपे जा रहे हैं. मंत्रालय ने कहा है कि किसी जाति या धर्म विशेष के कैदियों के समूह के साथ विशेष व्यवहार पर सख्त पाबंदी है. ऐसे में उनके साथ भेदभाव बंद किया जाए. गृह मंत्रालय ने कहा है कि यदि ऐसा कोई प्रावधान है तो मैनुअल अथवा कानून से भेदभाव वाले प्रावधानों को हटाने या संशोधन के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.
देश के संविधान में ऐसे भेदभाव पर है रोक : भारत का संविधान धर्म, नस्ल, जाति या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाता है. गृह मंत्रालय द्वारा तैयार और मई 2016 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वितरित किए गए मॉडल जेल मैनुअल, 2016 में रसोई के प्रबंधन या भोजन पकाने में कैदियों के साथ जाति और धर्म-आधारित भेदभाव को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया है.
अमित शाह एनयूसीएफडीसी का उद्घाटन करेंगे
सहकारिता मंत्री अमित शाह शनिवार दो मार्च को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शहरी सहकारी बैंकों के अम्ब्रेला संगठन नेशनल अर्बन कोऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनयूसीएफडीसी) का उद्घाटन करेंगे. एनयूसीएफडीसी को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में कार्य करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीआर) प्राप्त हुआ है, जिससे इस अम्ब्रेला संगठन को शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जाएगी.