
भारतीय रेलवे के टिकट सिस्टम को चरणबद्ध तरीके से डिजिटल किया जाएगा. इसके लिए रेलवे के सभी पांच प्रिंटिंग प्रेस बंद करने का फैसला किया गया है.
इस बीच रेल के टिकट व रसीदें (मनी वैल्यु दस्तावेज) छापने का काम बाहर से करवाया जाएगा. टिकट सिस्टम के डिजिटल होने से फर्जी रेल टिकट के धंधे पर अंकुश लगेगा. इससे टिकट दलालों को रेलवे और रेल यात्रियों दोनों को चूना लगाना आसान नहीं होगा.
रेलवे बोर्ड ने 3 मई को सभी जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को निर्देश जारी कर दिए हैं. बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाइकुला-मुंबई, हावड़ा, शकूरबस्ती-दिल्ली, रोयापुर-चैन्नई व सिकंदराबाद स्थित रेलवे के प्रिंटिंग प्रेस बंद करने का फैसला किया गया है. यहां पर रेलवे के आरक्षित व अनारक्षित टिकट के अलावा कैश रसीद बुक सहित 46 प्रकार के मनी वैल्यू दस्तावेजों को छापा जाता है.
अधिकारी ने बताया, रेलवे प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने का सैद्धांतिक फैसला मई 2019 में ले लिया गया था. अब इस पर अमल किया जा रहा है. बोर्ड के आदेश के अनुसार देशभर में रेलवे के कांउटरों व अन्य अधिकृत स्थानों से रेलवे के आरक्षित टिकट व अनारक्षित टिकट सिस्टम को डिजिटल किया जाएगा. इस बीच रेल टिकट व अन्य दस्तावेज आईबीएस व आरबीआई के अधिकृत प्रिंटिंग प्रेस में छपेंगे. जानकारों का कहना है कि वर्तमान में 81 फीसदी यात्री ऑनलाइन ई-टिकट बुक कर रहे हैं. जबकि 19 फीसदी टिकट काउंटरों से खरीदे जा रहे हैं. रेलवे का दावा है कि समूचा रेल टिकट सिस्टम डिजिटल करने की दिशा में काम हो रहा है. इस योजना में सफलता मिलना भविष्य की बात है.
सिर्फ पांच फीसदी छपाई हो रही अधिकारियों ने बताया, 19 फीसदी काउंटर टिकट की छपाई का अधिकांश काम बाहर से हो रहा है. देशभर में 74 प्रिंटिंग प्रेस हैं, यहां रेलवे के 95 फीसदी रेल टिकट छप रहे हैं. रेलवे के अपने पांच प्रिंटिंग प्रेस में सिर्फ पांच फीसदी छपाई हो रही है.