
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक दिलचस्प और विवादास्पद मामले पर फैसला सुनाते हुए मस्जिद के भीतर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने के आरोप में दर्ज केस को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि इस नारेबाजी से किसी भी धार्मिक वर्ग की भावनाएं आहत नहीं हुईं, इसलिए इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।
यह मामला दक्षिण कन्नड़ जिले का है, जहां रात के सन्नाटे में दो लोग अचानक एक मस्जिद में घुसकर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने लगे। स्थानीय पुलिस ने उन्हें धार्मिक भावनाओं को आहत करने, आपराधिक अतिक्रमण और धमकी देने जैसे गंभीर आरोपों के तहत गिरफ्तार कर लिया। लेकिन जब यह मामला कोर्ट तक पहुंचा, तो आरोपियों ने अपनी याचिका में कहा कि मस्जिद एक सार्वजनिक स्थान है और नारे लगाना कोई अपराध नहीं।
कोर्ट ने इस मामले में तर्क दिया कि अगर नारे लगाने से धार्मिक भावनाएं सचमुच आहत हुई होतीं, तो स्थिति अलग हो सकती थी। लेकिन इस घटना से किसी भी समुदाय के बीच टकराव या तनाव नहीं फैला, और खुद शिकायतकर्ता ने भी माना कि इलाके में हिंदू और मुस्लिम समुदाय शांति से साथ रहते हैं।
कर्नाटक सरकार ने आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस घटना की गहराई से जांच होनी चाहिए, क्योंकि यह सार्वजनिक शांति के लिए खतरा हो सकता है। लेकिन अदालत ने साफ कहा कि जब तक किसी कार्य का उद्देश्य समाज में वैमनस्यता फैलाना नहीं है, तब तक इसे अपराध नहीं माना जा सकता।