
अयोध्या . सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद श्रीरामजन्म भूमि में मंदिर निर्माण से पहले नींव की खुदाई में करीब तीन दर्जन से अधिक पुरावशेष प्राप्त हुए थे. यह पुरावशेष अब अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय की शोभा बढ़ाएंगे.
इन पुरावशेषों में ब्लैक स्टोन के खंभे, शिवलिंग, आमलकी व खंडित यक्ष-यक्षिणियों व देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मिली थी. इन सभी पुरावशेषों को श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से परिसर में ही उचित स्थान के अभाव में शेड का निर्माण कराकर रखा गया था. तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय ने बुधवार को जब इन्हीं पुरावशेषों को सोशल मीडिया में साझा किया है तो इसकी टाइमिंग को लेकर संग्रहालय के हस्तांतरण की औपचारिकता पूरी हो जाने की चर्चा फिर गर्म हो गई.
सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग व तीर्थ क्षेत्र के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होना है. इसकी तिथि 27 अगस्त 2023 तय थी लेकिन प्रमुख सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम के न होने के कारण एमओयू स्थगित हो गया. दूसरी तिथि के बारे में शासन से कोई सूचना नहीं दी गयी है.
तीन चरणों में हुए उत्खनन
श्रीरामजन्म भूमि में विवाद के दौरान पुराविदों के निर्देशन में तीन चरणों में अलग-अलग उत्खनन की कार्यवाही हुई थी. छह दिसंबर 1992 की घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एएसआई की टीम ने अदालती पर्यवेक्षक की मौजूदगी में उत्खनन किया था.
इस दौरान रडार सिस्टम की तकनीक भी भूमिगत स्थिति की जानकारी के लिए अपनाई गयी थी. फिलहाल इस उत्खनन में करीब 265 बड़े आब्जेक्ट प्राप्त हुए थे. इसके अलावा छोटे-छोटे सैकड़ों अवशेष भी मिले. इन सभी पुरावशेषों को तत्कालीन अधिग्रहित परिसर स्थित मानस भवन के कमरों में संरक्षित कराया गया. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इन पुरावशेषों के संरक्षण के लिए तत्कालीन जनपद न्यायाधीश एसके सिंह व एसयू खान को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था. इन्हीं दोनों न्यायाधीशों की मौजूदगी में हर माह एएसआई की टीम यहां आकर मानस भवन में रखे पुरावशेषों की जांच कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट को प्रेषित करती थी.