
एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के छह सदस्यीय तथ्यान्वेषी दल ने रविवार को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के कुछ गांवों का दौरा किया. दौरे के बाद संगठन के एक सदस्य ने संदेशखाली में मौजूदा स्थिति को भयानक करार दिया.
दल का नेतृत्व पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी ने किया. दल ने उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में तीन गांवों का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तथ्यान्वेषी दल के सदस्यों के रूप में छह व्यक्तियों को रविवार को संदेशखाली का दौरा करने की अनुमति दी थी. पुलिस ने उन्हें 25 फरवरी को संदेशखाली जाने से रोक दिया था. उसके बाद उन्होंने अदालत से अनुमति देने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था. पीड़ितों के साथ बातचीत के बाद दल के सदस्य ने बताया कि 185 लोगों को पोल्ट्री फार्म जलाने के लिए झूठा फंसाया गया, क्योंकि उन्होंने शाहजहां शेख और उसके गुर्गों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत की थी. सत्ताधारी दल के खिलाफ बोलने के कारण उन्हें जानबूझकर प्रताड़ित किया गया.
सदस्य ने कहा कि यहां की स्थिति बहुत ही भयावह है. मैंने शायद ही देश में कहीं और आतंक का ऐसा स्पष्ट माहौल महसूस किया हो. उन्होंने दावा किया कि टीएमसी का ताकतवर नेता अभी भी संदेशखली में अपना राज चला रहा है. कई पुरुषों को मनगढ़ंत आरोपों में सलाखों के पीछे डाला जा रहा है जबकि उनकी पत्नियों को आधी रात के बाद पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा है. यहां तक कि उनकी जमीन भी छीन ली गई है. यदि कोई दुकानदार 20,000-25,000 रुपये की रंगदारी नहीं देता है तो उसकी दुकान जब्त कर ली जाती है.
बता दें कि संदेशखाली में कई महिलाओं ने निलंबित तृणमूल कांग्रेस नेता शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों पर यौन उत्पीड़न एवं जमीन हड़पने का आरोप लगाया है. शेख और उसके कई साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.






