
नई दिल्ली. दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने वर्ष 2010 के मुकाबले प्रति यात्री 57 फीसदी बिजली खपत कम की है. वर्ष 2010 में टर्मिनल-3 शुरू होते समय प्रति यात्री 5.18 किलोवाट बिजली इस्तेमाल होती थी.
वहीं, विभिन्न हरित पहल के चलते वर्ष 2023 में यह घटकर 2.21 किलोवाट प्रति यात्री रह गई है. डायल ने वर्ष 2030 तक दिल्ली एयरपोर्ट को कार्बन उत्सर्जन मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. अधिकारियों के अनुसार, ऊर्जा-बचत उपायों के लिए हरित भवन प्रथाओं का एकीकरण, ऊर्जा-कुशल बुनियादी ढांचे का उपयोग और खपत को अधिक अनुकूलित करने का प्रयास किया गया है. इसमें स्टेट-ऑफ-द आर्ट का उपयोग शामिल है. यहां गर्माहट, ठंडक और वेंटिलेशन के लिए एयरपोर्ट प्रणालियों में बेहतर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
इसके साथ ही बैगेज हैंडलिंग सिस्टम (बीएचएस), सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), एयरसाइड ग्राउंड लाइट (एजीएल), एलईडी का उपयोग, ऊर्जा को अनुकूलित करने के लिए रोशनी और बहुत उच्च थ्रूपुट (वीएचटी) प्रणाली का इस्तेमाल हो रहा है. इस उपलब्धि को लेकर डायल कंपनी के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा कि टर्मिनल-3 की स्थापना के साथ ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल करना उनका सिद्धांत रहा है. हरित पहलों का निरंतर कार्यान्वयन संसाधनों के कुशल उपयोग और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव को सुनिश्चित करता है. दिल्ली एयरपोर्ट अपनी 100 प्रतिशत बिजली की जरूरतों को नवीकरणीय स्रोतों (सौर और जल विद्युत) से पूरा करता है. डायल ने एयरसाइड पर 7.45 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया है, जो भारतीय एयरसाड क्षेत्र में इस तरह का पहला संयंत्र है.