
आज, 23 जनवरी 2025, को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती मनाई जा रही है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। नेताजी ने आजादी की लड़ाई के लिए महात्मा गांधी से अलग राह चुनी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ खुलकर संघर्ष किया। उनके नेतृत्व में बनी आजाद हिंद फौज ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी। उन्होंने लोगों में जोश भरने के लिए प्रसिद्ध नारा दिया, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
नेताजी की जयंती को हर साल पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाया जाता है, ताकि उनके बलिदान और योगदान को याद किया जा सके।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस: ‘नेताजी’ की उपाधि कैसे मिली?
बहुत कम लोग जानते हैं कि सुभाष चंद्र बोस को ‘नेताजी’ की उपाधि जर्मनी के तानाशाह अडोल्फ हिटलर ने दी थी। स्वतंत्रता संग्राम के लिए हर संभव प्रयास करते हुए, सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी जाकर हिटलर से मुलाकात की। हालांकि हिटलर ने उनकी कोई प्रत्यक्ष मदद नहीं की, लेकिन वह उनकी नेतृत्व क्षमता से काफी प्रभावित हुआ और उन्हें ‘नेताजी’ कहकर संबोधित किया। इसके बाद यह उपाधि पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई।
इसके अलावा, ‘देश नायक’ की उपाधि सुभाष चंद्र बोस को महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी, जो उनकी देशभक्ति और साहस को दर्शाती है।
महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कहने वाले पहले व्यक्ति
महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ का संबोधन देने वाले पहले व्यक्ति भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे। 1944 में सिंगापुर के एक रेडियो प्रसारण के दौरान नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के योगदान को नमन करते हुए उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा। यह संबोधन गांधी जी के प्रति उनके गहरे सम्मान और आदर को दर्शाता है।
पराक्रम दिवस: शुरुआत और महत्व
भारत सरकार ने 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे नेताजी के अद्वितीय योगदान को सम्मान देने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस दिन का उद्देश्य नेताजी के जीवन, उनके आदर्शों और शिक्षाओं को हर नागरिक तक पहुंचाना है।
पराक्रम दिवस के अवसर पर विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, झारखंड, त्रिपुरा, असम और ओडिशा में सरकारी अवकाश रहता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने देश की स्वतंत्रता और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध रहें।