
नई दिल्ली . शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा का नया ‘नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क’(एनसीएफ) तैयार किया है. इसके तहत बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होगी. छात्र-छात्राओं को इसमें सर्वश्रेष्ठ अंक बरकरार रखने का विकल्प मिलेगा. एनसीएफ के अनुसार नौवीं एवं 10वीं कक्षा के छात्रों को तीन भाषाओं का अध्ययन करना होगा, जिनमें दो भारतीय भाषाएं होंगी.
11वीं और 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा, इनमें से कम से कम एक भाषा भारतीय होनी चाहिए. वर्तमान में नौवीं और 10वीं के छात्र दो भाषाओं का अनिवार्य रूप से अध्ययन करते हैं. वहीं, 11वीं और 12वीं के छात्र एक भाषा का अध्ययन करते हैं.
एनसीएफ में कहा गया कि नौवीं 10वीं के लिए सात विषय अनिवार्य होंगे, जबकि 11वीं-12वीं के लिए छह विषय अनिवार्य होंगे. नए ‘करिकुलम फ्रेमवर्क’ के आधार पर 2024 के शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार की जाएंगी.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को ‘नेशनल ओवरसाइट कमेटी’ (एनओसी) और ‘नेशनल सिलेबस एंड टीचिंग-लर्निंग मैटेरियल कमेटी’ (एनएसटीसी) की संयुक्त बैठक के दौरान एनसीएफ को राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को सौंप दिया.
पसंद का विषय चुन सकेंगे छात्र 11वीं और 12वीं में विषयों का चयन कला, विज्ञान, वाणिज्य स्ट्रीम तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद का विषय चुनने की आजादी मिलेगी.
वर्तमान परीक्षा प्रणाली से तनाव दस्तावेज में कहा गया है कि वर्तमान में जिस तरह से बोर्ड परीक्षाएं ली जाती हैं, उससे किसी एक दिन अपेक्षित प्रदर्शन नहीं करने से परिणाम पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. चूंकि ये परीक्षाएं साल में एक बार ली जाती हैं. ऐसी परीक्षाएं बहुत अधिक मात्रा में तथ्यों से संबंधित होती हैं और इसके कारण तनाव भी पैदा होता है.
तैयारी के बाद परीक्षा दो बार बोर्ड परीक्षा होने से छात्र उस बोर्ड परीक्षा में उपस्थित हो सकता है, जिसके लिए वह तैयार हो. इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए समग्र परीक्षा सामग्री बैंक तैयार किया जा सकता है, जिसका उपयोग सॉफ्टवेयर के माध्यम से परीक्षा लेने में किया जा सकता है. दीर्घकाल में सभी बोर्ड को सेमेस्टर प्रणाली अपनाने की सलाह दी गई है.
प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन हो
व्यवसायिक शिक्षा, कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और सेहत एनसीएफ का अभिन्न हिस्सा है. इन मामलों में मूल्यांकन प्रदर्शन आधरित होना चाहिए. सिफारिश की गई है 75 प्रतिशत जोर प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन और 25 प्रतिशत मूल्यांकन लिखित परीक्षा पर हो.
छात्रों पर बोर्ड परीक्षा का बोझ कम करना लक्ष्य
एनसीएफ के अनुसार, छात्रों पर बोर्ड परीक्षा के बोझ को कई कदमों के जरिये कम किया जा सकता है. बोर्ड परीक्षा को पाठ्यक्रम के अनुरूप माध्यमिक स्तर पर क्षमताओं का मूल्यांकन करना चाहिए. ये परीक्षाएं छात्र के प्रदर्शन की वैध एवं विश्वसनीय तस्वीर पेश करने वाली होनी चाहिए.
पाठ्य पुस्तकों की कीमतों में आएगी कमी
एनसीएफ के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं महीनों की कोचिंग और रट्टा लगाने की क्षमता के मुकाबले छात्र-छात्राओं की समझ और दक्षता के स्तर का मूल्यांकन करेंगी. कक्षाओं में पाठ्य पुस्तकों को कवर करने की मौजूदा प्रथा से बचा जाएगा और पाठ्य पुस्तकों की कीमतों में कमी लाई जाएगी.
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का खाका चार स्तरों में बांटा
एनसीएफ को चार स्तर पर विभाजित किया गया है. पहला बुनियादी स्तर, जिसमें तीन से आठ वर्ष के छात्र आएंगे. दूसरा तैयारी स्तर है, जिसमें आठ से 11 वर्ष के छात्र होंगे. तीसरा मध्य स्तर, जिसमें 11 से 14 वर्ष के छात्र होंगे. चौथा माध्यमिक स्तर, जिसमें 14 से 18 आयु वर्ग के छात्र होंगे.