
नई दिल्ली. देश में 48 दवाओं के नमूने स्टैंडर्ड टेस्ट में फेल मिले हैं. इनमें ब्लड प्रेशर, हृदय रोग में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी शामिल हैं.
सीडीएससीओ की रिपोर्ट के मुताबिक, इन दवाओं में लाइकोपेने मिनरल सिरप जैसी मेडिसन भी हैं, जिनका लोग काफी इस्तेमाल करते है. इसके अलावा विटामिन सी इंजेक्शन, फोलिक एसिड इंजेक्शन, अल्बेंडाजोल, कौशिक डोक-500, निकोटिनमाइड इंजेक्शन, एमोक्सनोल प्लस और अलसिफ्लोक्स जैसी दवाएं भी हैं. ये मेडिसिन विटामिन की कमी को पूरा करने, हाई बीपी को कंट्रोल करने, एलर्जी रोकने, एसिड कंट्रोल और फंगल इंफेक्शन को खत्म करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. इन दवाओं में एक नामी कंपनी का टूथपेस्ट भी फेल किया गया है. इस टूथपेस्ट का बड़ी संख्या में लोग इस्तेमाल करते हैं.
कंपनियों को नोटिस जारी
टेस्ट में फेल हुई दवाओं को फार्मा कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. सभी ड्रग इंस्पेक्टर को आदेश दिया गया है कि फार्मा कंपनियों की जांच करें. टेस्ट में फेल हुई दवाओं को बाजारों से वापस लेने को भी कहा गया है. सीडीएससीओ की तरफ से हर कुछ महीनों में अलग- अलग फार्मा कंपनियों की दवाओं का सैंपल टेस्ट किया जाता है. पिछले साल नवंबर में भी टेस्ट किए गए थे, जिसमें करीब 50 दवाएं फेल हुई थीं. उन मेडिसिन में एंटीबायोटिक मेडिसिन शामिल थीं.
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) की जांच रिपोर्ट में उत्तराखंड की बनी 14 दवाएं भी शामिल हैं. बीते महीने केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन ने कुल 1497 दवाओं के सैंपल टेस्ट किए गए थे. इनमें से 48 दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरी. मामले में संबंधित दवा कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. वहीं, स्वास्थ्य क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एबॉट इंडिया ने कहा कि थायरॉयड की दवा थायरोनॉर्म का एक बैच लेबलिंग में गलती के कारण स्वैच्छिक रूप से वापस मंगाया है. गलत लेबल वाले इस बैच की बिलिंग केवल मध्य प्रदेश और तेलंगाना में की गई थी. कंपनी ने कहा कि उत्पाद के साथ गुणवत्ता संबंधी कोई समस्या नहीं है और हमें मरीज के प्रभाव की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.