राष्ट्र

जन्म प्रमाण पत्र के साथ आधार नंबर भी मिलेगा, कई राज्यों में शुरू हुई सुविधा

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में सभी राज्यों में यह सुविधा शुरू हो जाएगी. इससे उन लोगों को आसानी होगी जिनके घर में किसी बच्चे का जन्म हुआ हो. पांच साल की उम्र तक के बच्चों की बायोमेट्रिक जानकारी नहीं ली जाती है. नवजात बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र के साथ ही उनके ‘आधार’ नंबर रजिस्ट्रेशन की सुविधा अगले कुछ महीनों में सभी राज्यों में उपलब्ध होने की उम्मीद है. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है. यह सुविधा शुरू होने से बच्चे को जन्म प्रमाण पत्र के साथ आधार नंबर भी मिल जाएगा. इससे बाद में आधार बनवाने की मुश्किलों से छुटकारा मिलेगा. आधार के बढ़ते उपयोग को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है.

फिलहाल नवजात बच्चों के आधार रजिस्ट्रेशन की सुविधा 16 राज्यों में मिल रही है. यह प्रक्रिया एक साल पहले शुरू हुई थी और इसमें धीरे-धीरे करके कई राज्य जुड़ते गए. बाकी राज्यों में भी इस दिशा में काम चल रहा है. अभी तक ये होता है कि बच्चे के जन्म के समय जन्म प्रमाण पत्र बनता है और बाद में आधार बनवाया जाता है. यह एक तरह से दोहरा काम हो जाता है जिसमें समय की बर्बादी होती है. लेकिन अब दोनों काम एक साथ होगा और दोनों कागजात एक साथ मिल भी जाएंगे.

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में सभी राज्यों में यह सुविधा शुरू हो जाएगी. इससे उन लोगों को आसानी होगी जिनके घर में किसी बच्चे का जन्म हुआ हो. पांच साल की उम्र तक के बच्चों की बायोमेट्रिक जानकारी नहीं ली जाती है. इस जानकारी को तब अपडेट किया जाता है जब बच्चे की उम्र पांच और फिर 15 साल होती है. छोटे बच्चों का आधार उनके माता-पिता के आधार से जोड़ते हुए बनता है. बच्चे जब थोड़ा बड़े हो जाते हैं और फिंगरप्रिंट जैसी निशानी कैप्चर करने लायक हो जाती है, तब उनका बायोमेट्रिक लिया जाता है. इसी से आधार को अपडेट किया जाता है. सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करने का है कि जन्म प्रमाण-पत्र के साथ ही बच्चे का आधार भी जारी कर दिया जाए और इसके लिए यूआईडीएआई लगातार काम कर रहा है. सूत्र ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए जन्म रजिस्ट्रेशन की कंप्यूटर आधारित प्रणाली की जरूरत है और जिन राज्यों में यह उपलब्ध है उनमें यह सुविधा शुरू की जा रही है. कई राज्यों में यह पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम चल रहा था, लेकिन उसकी सफलता को देखते हुए इसे और आगे बढ़ाया जा रहा है.

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